Paras patel   (Paras)
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Joined 31 July 2017


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2 HOURS AGO

क़तरा-क़तरा बिखर जाऊँगा,
तुम्हारी अंजलि में समेटे भी न समाऊँगा,
राख होकर भी चिनगारी-सा दहकूँगा,
झुकूँगा नहीं मैं जीतकर ही दम भरूँगा।

क़दम मेरे डगमगाएँगे नहीं,
अडिग संकल्प ही मेरा अस्त्र बनेगा।
मृत्यु भी आकर ठिठक जाएगी,
मुझे देख संघर्ष भी तालीयाँ बजाएगी।

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3 AUG AT 21:58

सच-झूठ की नहीं, मैं साथ निभाने का धर्म चुनूंगा,
संग मेरे चल पड़े जो, मैं फिर वही श्याम चुनूंगा।
तू सुदामा की श्रद्धा में खोज सच्चा मीत सही,
पर जहाँ रणभूमि में मित्र लड़े संग — मैं वहाँ कर्ण चुनूंगा।

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2 AUG AT 23:25

क्या रखा है इन जहानों में,
हमको तो डूबना है सिर्फ किताबों में।
ये काग़ज़ नहीं, शमशीरें हैं लफ़्ज़ों की,
हर सफ़ा बग़ावत है, हर किताब एक जंग है दिलों की।

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1 AUG AT 0:18

जितेंगे... पर किसी को हराएंगे नहीं
उठेंगे... पर किसी को झुकाएँगे नहीं
लड़ेंगे... पर किसी को गिराएँगे नहीं
बनेंगे मिसाल... पर किसी को मिटाएंगे नहीं

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1 AUG AT 0:06

चेतना में प्रवाह हो, भावों में उद्गार हो,
हर विचार में सत्य का धीमा-सा संचार हो।
क्षण-क्षण में हो प्रश्न कोई, उत्तर भी संकोच में,
जीवन स्वयं एक मौन हो, जिसमें बस विस्तार हो।

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30 JUL AT 0:32

नींद तो मुकम्मल है, वो तो आएगी ही,
बस ख़्वाब हक़ीक़त बनें — ये ज़रूरी है।
ज़िंदगी रुलाएगी, ये तो तय है,
पर मेहनत में कमी न हो — ये ज़रूरी है।

हर मोड़ पे अंधेरे मिलेंगे तुझे,
पर तू जले तो चराग़ों की तरह।
हर हार से पहले एक कोशिश बची है,
बस तू लड़े — उस योद्धा की तरह।

मंज़िलें पास हैं, बस चलना तुझे है,
थक के न रुक — सफ़र बदलना तुझे है।
ख़्वाब अधूरे नहीं रहते सच्चे इरादों में,
बस जुनून से हर रोज़ ढलना तुझे है।

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29 JUL AT 0:18

अब तो बस सुकून की तलाश है।

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28 JUL AT 0:15

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27 JUL AT 22:48

आँखों में पलता रहा,
ज़िंदगी का कोई किस्सा,
अधूरा सा चलता रहा।

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7 FEB AT 11:29

अपनी सादगी से सबको लुभाना,
बिना खुशबू के महक जाना।
काटो भरे जीवन में भी खिल जाना,
टूट कर भी दूसरों को खुशी दे जाना।


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