तुम गहरे नीले सागर,
मैं मिलन की प्यासी धारा...
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Bina Saaz ke ye Dil Nagma Gaa Raha Hai
Mohabbat Ka Mausam Dilo Par Chhaa Raha Hai
Tera Naam Kaha Kaha Nahi Hai Ye Pooch?
Dekh Tera Zikr To Shayari Mein Bhi Aa Raha Hai...-
लो तुमने भी ये आग़ाज़ कर दिया
धड़कन को दिल का साज़ कर दिया
दे कर मेरे गीत को अपनी आवाज़
खंडहर सी इमारत को ताज कर दिया-
यूँ जो बदल रही है तेरे चेहरे की रंगत
इसके पीछे आखिर कुछ तो राज़ है
मिला है तुझे राहों में कोई या फिर
जिंदगी ने छेड़ा कोई साज है.....-
होश भुला देना भी इक अंदाज़ है इश्क़ का,
लिखावटों की बातें तो, महज़ बाते हैं।-
Inki mohabbat ka hai
shayrana andaaz...
Baaton mein ghula ho jaise
meetha meetha sa saaz
Aur naam apna batati
hain rooh e alfaaz!-
बेटियाँ विदा हो जाती हैं तो,
पर छोड़ जाती हैं अपने मन
को बाबुल की देहरी पे ही
( मन उनका सिसकता पड़ा रह जाता है बाबुल की देहरी पे)-
मेरे कमरे की खिड़की से झाँक रहा है,
चुपके से, वो उदास सा चाँद,
मगर वो शिकायत नहीं करता मुझ से,
कि मैंने उससे मिलना क्यों छोड़ रक्खा है।-
Kabhi kabhi mohabbat umas jaisi lgne lgti kyuki aaj kl mohabbat ki expiry date jaldi ho rhi h😁😁😂😂😜😛😝
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