शिक्षा एक ऐसी तपस्या है जो कम से कम सुविधाओं में ही सफल होती है
जितनी ज्यादा विकल्प होंगी पढ़ाई उतनी ही कम होती है
Education is an austerity that succeeds at least in facilities
The more options there are, the less the outcome will be-
मुरझा गये बाग़ और बेरोज़गार माली रह गया,
प्रधान की तिज़ोरियाँ भरी गाँव खाली रह गया ।-
माझी माय........?
माझी माय म्हणजे दुधावरची साय
राणावनात काम करी माझी माय
उन्हातान्हात राब राब राबते माझी माय
काट्या कुपाट्यात विना पायतानाची चाले माझी माय पाण्या पावसात जमीन कसते माझी माय
चाराचे चारशे दाणे बनवते माझी माय
जगाच्या पोशीद्यांची कारभारीन आहे माझी माय
चटणी भाकरी खाऊन मला शिकवते माझी माय
शिक्षणाने अडाणी आहे पण जगण्याच्या तत्वज्ञानात आदर्श आहे माझी माय
दुष्काळात खंबीर ऊभी राहते माझी माय
स्वता: खस्ता खाऊन मला साहेब बनवायच स्वप्न पाहती माझी माय
माझ विश्व,देव,गुरू,प्रेरणा,
आदर्श व आधार आहे माझी माय-
गांव से निकल शहर, परिस्थिति तो मेरी बदली थी,
हां मेरे मानदण्ड नहीं, क्योंकि वो मेरे गांव की संस्कृति थी।
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वो तो सीधी-सरल सी थी, साहब
बस
"राजनीति"
में उलझ कर रह गई...!
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मेरे गाँव की
"सड़क"...!-
किताबी ईटों का यूँ शानदार महल बना
गाँव-घर में "बड़े बाबू" वो कहलाते हैं
अब उनके बारे में मैं क्या लिखूँ साहब!
जो छोटे-बड़े कपड़ों से मर्यादा सिखलाते हैं
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मैं अपने गाँव के दौरे पर था..
यहाँ आज भी मनोरंजन के लिए..
"मोबाइल" की जरूरत नही !!
यहाँ सादे लिबास में भी रह सकते हैं..
" स्टाइल " की जरूरत नही !!-
मिट्टी तो आज भी
सिर्फ़ गाँव की सुहाती ,
जितनी तरक्की कर लो
दिल से हम देहाती !-
मेरा पुराना कच्चा घर
फैली घास इधर उधर,
एक छोटा सा रास्ता
टूट फूटा, हालत खस्ता,
चूल्हे की महक, उठता धुँआ
एक मंदिर, दूर एक कुआँ,
घर के पास पेडों की कतार
झूला झूलते बच्चे दो चार,
ये मेरा छोटा, कच्चा, सुंदर
अपना घर....-