लगा कर डुबकी गंगा में जिस्म को धोने का फायदा क्या,
जब पापों को अंजाम देने वाली सोच को वो पानी छू तक ना पाया।।-
पाप तारिणी है ये गंगा,
कष्ट निवारे है ये गंगा,
पुण्य दिलाए है ये गंगा,
फिर बोलो,
क्यूं करते तुम, दूषित ये गंगा,
पापी हो तो पापों को मारो,
क्यूं मार रहे ये पावन गंगा।।-
जब सूरज अपनी किरणें समेट रहा हो,
गंगा अपनी लहरों के साथ इठलाती हुई,
जब आपके एकदम करीब से गुजरती है,
तोह उसकी बहकती हुई शोर को सुनना,
आये होए क्या खूब लगता है,
जैसे आप खुली आँखों से,
जन्नत का दीदार कर रहे हों,
और मन्द मन्द हवा का बहना,
हृदय को गहराई से स्पर्श करती हो।
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Take a holy dip in the river ganga, not to wash off your sins but to purify your soul and make it spot-free
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सिकुड़ रहा किनारा,गुम होती अविरल धारा
दस्तक़ हर दिन देती, अब काल निकट हमारा
कागज़ पर फलती फूलती
भ्रष्ट तंत्र में सालों साल झूलती
क्या है पाती ,क्या है खोती
सबके मल पाप ही धोती-
"गंगा नदी "👉"हम लोगों को गंगा में प्रदूषण करने से कैसे रोकें।"
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं , माँ गंगे तुम्हारी ।
थी जिनकी तुम तरणी,है लूटी उसी ने अस्मिता तुम्हारी ।।
शांत-सी मुस्काती-मचलती, मदमस्त सी बस बहती ही जाती।
हिलोरें लेती मदमाती,कभी शांत तो कभी उफनती ।।
सोलह श्रृंगार में एक नवयुवती,प्रकृति सौंदर्य लिए अपना बाबुल छोड़ चली ।
सबके प्रेम वेग में बस इठलाती,अपने पिया सागर में जा मिली ।।
तरण-तारिणी तुम जन के तन-मन धोती,हो सर्वसुखकरनी दुःखहरनी ।
भारत का वरदान हिमालय तो,हो तुम पापनाशक मोक्षदायिनी हिमगिरी की जटाशंकरी ।।
पर आज......तुझे यूँ बदहवास देख,मन मेरा कुछ रुंहासा सा हुआ ।
कैसे तेरी नागिन जैसी चाल को,बांधों ने है फांसा हुआ ।।
तुझसे ही पवित्र होता रहा,आज तेरा ही आँचल मैला कर किया ।
हाय ! कैसा पथिक हूँ मैं अपना प्यास बुझा,तुझको ही गंदा किया ।।
Continued in caption......👇👇
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वसुधा के इस अंचल से उस अंचल तक
एक सहारा बन जीवन का
सबके ऊपर प्यार लुटाती
क्या है पाती,क्या है खोती
माँ की ममता ख़ुद ही जताती-
It's ok if some people come to you only when they are in a dark phase of their life...bcz people come and sit by river only when they are desperate and hopeless...🙃
#untold_story_of_a_river-