मैं बेघर हूँ ,छीन लिया गया है मेरा घर ..
एक चिड़िया कह रही थीं...
मैं घायल हूँ तारो से ,पतंगों से नव विकास से ...
एक चिड़िया कह रही थी...
मैं भूखी हूँ ,प्यासी हूँ...
नहीं दिखता कही दाना और पानी...
एक चिड़िया कह रही थी..
मैं आक्रांत हूँ ,भयभीत हूँ ,अपनी घटती संख्या से..
कही मैं गायब ही न हो जाऊं इस धरा से...
मुझे बचा लो पाषाण-ह्रदय मानव ,थोड़ी दया दिखाओ
थोड़ा दाना ,थोड़ा पानी ,छोटा सा आश्रय मुझे भी दो
मैं भी जीना चाहती हूँ...
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