Ranjana Sharma  
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Joined 8 August 2020


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Joined 8 August 2020
10 JAN 2022 AT 20:50

फूलों की तरफ़ देखते भी नहीं.. काँटो को ...
दिल में बसाए हुए रख़ते है..
कौन हैं ये लोग जो..इंसान को इंसान नहीं..
रहने देते...हिन्दू -मुस्लिम में बाँट देते हैं..

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6 JAN 2022 AT 4:17

मेरा इश्क़ रोज़गार हैं, बर्बाद हुआ जाता हूँ मैं, फिर भी नहीं मिलता, मेरा इश्क़ रोज़गार हैं .....

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11 NOV 2021 AT 17:26

निरंतर सर्वश्रेष्ठ दिखने की चाह में खोकली खुशियों के अंबार तले दबे हम स्थायी रूप से अकेलेपन का शिकार
होते जा रहे है...

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3 NOV 2021 AT 17:48

खोकर पाया तो फिर ,क्या पाया..
क़ीमती तो जब होता ,जब..
सहेज कर रखा जाता.. वो जो..
एक रिश्ता था..

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1 OCT 2021 AT 17:53

सिर्फ और सिर्फ मोहब्बत करने के लिये बना है इंसान
नफ़रत न जाने कहाँ से आ जाती हैं..
बदल जाते हैं जज़्बात बयां करने के तरीके..
गलतफहमियां पैदा कर देती हैं दीवारें...
वो दीवारें जिनके आर - पार न कुछ दिखाई देता है
न कुछ सुनाई देता है..जबकि लगातार दीवारो पर..
टकराते है साये..दोनो तरफ के ये साये..
किसी कोहरे में खोये हुये…फ़ना हो जाते हैं खुदबखुद
उनके जज़्बात बन जाते है किस्से-कहानियां..
फिर भी कोई याद नहीं रखता...कि ये..
उन अनगिनत सायो की नहीं..
नफ़रत और मोहब्बत की कहानी है
क्यों मोहब्बत गुम हो जाती है..
क्यों नफ़रत आबाद हो जाती हैं...??

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9 AUG 2021 AT 9:23

दुआएं दीजिए.. मगर हिसाब मत रखिए..
ये सब हिसाब अल्लाह रखता है..
वो जब नवाज़ता है...
तो जमी-आसमान एक कर देता हैं..

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5 JUL 2021 AT 15:28

तुमसे बिछड़ने के बाद ,नहीं गाये मैंने विरह के गीत
ना ही मैं डूबा नैराश्य के सागर में..
ना ही मैंने ढूंढा तुम्हारा कोई विकल्प..
तुमसे बिछड़ने के बाद मैंने देखा..
अपने आँगन में अमरूद के पेड़ पर ..
घोंसला बनाती प्यारी सी हमिंगबर्ड को..
मैंने देखा माता -पिता की आँखों में...
अपने लिये दुआएं और प्यार..
मैंने देखा सुंदर पर्वत और झरनों को..
मैंने देखा कल-कल बहती नदियों को..
मैने सुनी मन्दिर की घंटियों की आवाज़ें..
मस्जिदों की अज़ान..
तुमसे बिछड़ने के बाद मैंने जाना..
ज़िंदगी बहुत खूबसूरत है.. ज़िंदगी बहुत खूबसूरत है..

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28 JUN 2021 AT 9:29

बारिश हर किसी के लिये खूबसूरत नहीं होती..
जब नहीं होता किसी मजदूर के पास काम..
और अन्न की क़ीमत चुकाने के दाम...
तब जबाब दे जाती हैं हिम्मत भी ..
भूख से कुलबुलाती अंतड़ियों के सामने..
रोटी ही जब सबसे सुंदर लगती है..
तब ये बारिश किसी अज़ाब से कम नही होती..

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3 JUN 2021 AT 8:21

परहेज़ है जिन्हे झूठ ,धोखे और वेवफ़ाई से..
ये तन्हा लोग कहाँ जाये आख़िर..
जो भी मिलता है अपने जैसा..
ज़ख्म खाया हुआ मिलता है..

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30 MAY 2021 AT 7:14

दो नजरें मिली..लब मुस्कराए..
एक खूबसूरत रिश्ता बन गया...
जमाने के लिये अफ़साना बन गया..
मुलाकातें बढ़ी..ज़माने की नजरों में चुभने लगी
यूँही एक प्यारा सा रिश्ता..ज़माने की ख़ातिर
कुर्बान हो गया..

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