ये वही सन्नाटा है,
अपने आसमानोंसे गिर चुके सेंकड़ों परिंदो का,
उस गूंगे प्राणीओकी अनसुनी चिखों का,
या फिर,
प्रकृतिके प्राण लेने वाले उस सलिको का,
हद से गुजर चुके इन्सानी तरीकों का,
ये वही सन्नाटा है ,
उन्नति के नाम पर बेवजह सहने पड़े उन दर्दो का,
कुदरतके द्वारा गिराए गए इंसानी हद के परदो का।
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