एक बार फिर मुड़कर देखो न
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अगर निकला हूँ सफ़र पर,
तो मंज़िल पर पहुँचना मुमकिन है...
उम्र भर अगर मुसाफिर रहना मुक़द्दर है,
तो रुक-रुक कर चल,
रास्ता लम्बा लेकिन है...
चलते चलते जब पॉव में पड़ गए छाले,
तो तरस खाकर खुदा ने कहा
आराम कर ले आराम का दिन है...
मैं तो समझा इसे ख़ुद के लिए मेहरबानी..
बाद में पता चला वो तो मेरी मौत का दिन है।
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हानि-लाभ जय-पराजय,
तेरे सीने में शूल सा धसा।
"तुझे क्या मिला",मुझे क्या मिला,
बस यही तेरे चित्त में बसा।
गणित जीवन का छोड़कर,
निहित स्वार्थों से मुँह मोड़कर।
कर्म कर कर्मयोगी की भांति,
दिव्यता से जा मृत्यु चादर ओढ़कर।
न कर सका तो ये तेरी हार है
निष्काम कर्म ही जीवन का सार है।
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વાતો ઘણી મન માં સંઘરી રાખી છે મેં,
અતૃપ્ત ઈચ્છા અો ને દાટિ ને રાખી છે મેં,
રખે ને તું આવે કો'દિવસ મળવા,
અેથી સજળ આંખો સજાવી રાખી છે મેં,
ટપકે નીર તુજ આંખથી ,હાલ મારો જોયા પછી!
અેથી જ લાગણી સુની,દિલ ની જમીન માં વાવી રાખી છે મેં!!
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किसी मजबूत दरख़्त सा हूं मैं,
हल्के तूफानों में तो शज़र गिर जाते हैं।
तमाम मुश्किलातों में मेरी मुस्कान न गई,
जिसकी आधी मिले तो लोग मर जाते हैं।।
#ShayeriWith_अmit
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"जिन्दगी में दो मिनट कोई मेरे पास नहीं बैठा,
आज सब मेरे पास बैठे जा रहे थे"-