नीले आसमान के नीचे हरा सा मेरा मन लिए हर रंग की विविध बाते किये हर दिन रंगोली सजाती हूँ मैं विश्व सृजन को और सुंदर करने के लिए और फिर हर रात सफेद सी बन जाती हूँ चाँद से एकरूप होने के लिए।
,जैसे दिल में हो दीवाली, बंदिशों की भीड़ में, हर आँख है सवाली.. मन.. रंग बिरंगी पंछी यहां.. अनगिनत ख्वाब लिये, वो तो उड़ना चाहे, बेरहम दुनिया, इसे हर पल कुचलती यहां.. चंद है जो बच गए, वरना वो क़त्ल का हिसाब कहां..
तू अकेला, मै अकेली चल मुझको अपने संग तू कर ले होना चाहती हूँ अर्ध-अंग तेरा आ मुझको अपने रंग तू रंग ले रहे न बाकी कोई ख्वाहिश दिल मे पूरी आज हर उमंग तू कर ले ली थी कसम न छूने दूँगी किसी को जिस्म अपना बनजा कामदेव" चल मेरी तपस्या आज भंग तू कर ले याद रहे ताउम्र ये रात मुझे मुझ संग सीन कुछ अतरंग तू कर ले दिखे मुझमें भी अक्स तेरा मुझको मुझसे ही बे-रंग तू कर ले।।