देख रहें हैं सब तुम को चेहरा छुपा के रोइये
सिसकियाँ न सुन ले कोई मुँह दबा के रोइये
निशात ए वक़्त में भी आँशू! हैरान हैं सब
ख़ुशी के हैं कि ग़म के बता के रोइये
हम से न पूछिये क्या है अंजाम इश्क़ का
ख़ुद ही किसी से दिल लगा के रोइये
हँसते हँसते भी तो आँखों में आ जातें हैं आँशू
आप तो ऐसा कीजिये कह'कहा के रोइये
रोने से अगर ग़म दूर होता है! सच है ?
हम भी हैं ग़म-जदा हम को रुला के रोइये
आँशू तो होते हैं मिल्कियत आँखों की
यूँ ही न खर्चिये" थोड़ा बचा के रोइये-
Hum shabdo ki knock se dil me utar jate ... read more
तेरे साथ न होने से जों दर्द रहता है
ज़माना साथ हो मगर वो दर्द रहता है
इस कदर तस्लीम हो गया है दर्द मुझ में
कि अब दर्द न हो अगर तो दर्द रहता है
दर्द को भी दर्द होता है जब सोचता है मुझे
अकेला न हो जाऊँ' साथ मेरे सो दर्द रहता है।-
ऐसे डूबी कश्ती की साहिल पे आ गया
भटक कर मैं देखो मंजिल पे आ गया
हुस्न पे मरने वालों में हम नहीं साहब
दिल तो उनके होंठों के तिल पे आ गया-
देख कर मुझे तेरा कंगन खन खन कर रहा है
जैसे कोई इशारा मुझे तेरा कंगन कर रहा है
सोचता हूँ पूरी कर लूँ आज मैं हसरत दिल की
क्या तुम भी वही चाहती हो जो मेरा मन कर रहा है-
कभी इधर कभी उधर जाने कब किधर देख ले
कयामत आ जाती है वो जिधर देख ले
मुमकिन ही नहीं फिर होंश में आना उसका
वो मुड़ कर जिसे भी एक नज़र देख ले
टिकी है हर नज़र बस उस की ही तरफ़
सब के दिल में है अरमा एक बार इधर देख ले
देखेंगें न वो फिर किसी जवाँ चेहरे की तरफ़
एक नज़र वो हम को अगर देख ले
फिर कभी इतना मेहरबाँ नादान हो न हो ख़ुदा
आ बैठ मेरे सामने तुमको जी भर देख ले-
तुम ख़ुद ख़्वाब हो किसी का तुम ख़्वाब न देखा करो
वो रश्क रखता है हुस्न से तेरे तुम महताब न देखा करो
शराब को भी जरूरत पड़ती है फिर ख़ुद शराब की
नशा उतर जाता है शराब का तुम शराब न देखा करो-
जेहन से मेरे बस यही एक बात नहीं जाती
दिन गुज़र जाता है पर क्यूँ ये रात नहीं जाती
कहती है तेरे साथ ख़ुद को महफ़ूज समझती हूँ
फ़िर दूर दूर क्यूँ चलती है मेरे साथ नहीं जाती
साथ गुजारें हर लम्हों को भुला दिया हम नें
दिल से मगर वो पहली वाली मुलाक़ात नहीं जाती
हर रंग हर मौसम उतर गए आँखों से मगर
मुसलसल होती हिज्र की बरसात नहीं जाती
चलें गए वो बैठ कर डोली में और के साथ
जेहन से मगर उनकी यादों की बारात नहीं जाती-
लोग कहतें हैं तेरे जाने के बाद मुझे कुछ याद नहीं
तेरा नाम,तेरा चेहरा, तेरा पता, मुझे क्या याद नहीं
नादान नाम ले - ले कर ज़माना छेड़ता है मुझको
अब ये नादान कौन है मुझे ये याद नहीं-
मुसलसल ख़ुशी का दौर है आदत ख़राब न हो जाए
हँसते हँसते ही सही नादान रो भी लिया कर-
मैं कब अपने ही शहर में रहा
न शब में रहा न सहर में रहा
मंज़िल से खूबसूरत लगा सफ़र
मुझे" मैं ताउम्र बस सफ़र में रहा-