मेरी नज़र से अपना
चेहरा देख लो
देखनी है ख़ूबसूरती
आईना देख लो-
Hum shabdo ki knock se dil me utar jate ... read more
कहाँ हो तुम कि तुम से मिलने की चाहत हुई है
बेजान पड़े इस दिल में' नई कोई शरारत हुई है
मिलना रोज मुनासिब नहीं तो अपनी तस्वीर ही दे दो
इन आँखों को तुम को देखने की आदत हुई है
बाद मुद्दत के मेरी जान मुझ को मिली हो तुम
बाद मुद्दत के ख़ुदा की मुझ पे इनायत हुई है-
उन के दिल में उतरने का रस्ता देख लिया
हम ने रहने को मकान कोई सस्ता देख लिया-
उस की इस बात पे भुला दिया गुस्सा
छोड़ो यार जाने दो किस बात का गुस्सा
गुस्से में अपनी सूरत खास ही बुरी लगी
गुस्से में तुम को देखा तो अच्छा लगा गुस्सा
जिस गुस्से को तुम ने मेरे जायज़ नहीं कहा
गुजरी जो आप पर तो आ गया गुस्सा
इस गुस्से ने जाने कितने घर फूँक दिये
निर्दयी है ज़ालिम है बे-रहम है बड़ा गुस्सा
आओ" गुस्से में एक दूसरे से हार जाए हम
ऐसा न हो की जीत जाए तेरा मेरा गुस्सा
गुस्से में गुस्से से दोस्ती तोड़ ली मैंने
बहुत हाथ जोड़े पाँव पकड़ता रहा गुस्सा-
हम उन के बराबर खड़े हैं
जलने वाले जले पड़े हैं
उस ने हमारा नाम लिया है
सुन ने वालों के कान खड़े हैं
चुन लिया मैंने कम हसीन कोई
हसीनों के तो नखरें बड़े हैं
चल रही है कैसे मेरी दाल रोटी
अपनों की आँखों में छाले पड़े हैं
आज बटवारे का दिन है
आज सब एक सफ़ में खड़े हैं
वो ख़ेल मजहबी खेलें हैं' और
जन जन सब आपस में लड़े हैं
चुभने लगे आँखों में सब की' ज़रा
कामयाबी की सीढ़ी क्या चढ़े हैं
उन को पाप का डर नहीं है
उन के पास कई घड़े हैं-
इस नज़र से किसी को बहुत कम देखतें हैं
मगर जब देखतें हैं तो एकदम देखतें हैं
चाहत है वफ़ा है लिहाज़ है उस नज़र में
जिस नज़र से तुम को हम देखतें हैं
जैसे देखता है मोमिन ख़ुदा को अपने
उस नज़र से हम तुम को सनम देखतें हैं
लड़खड़ाते देख कर ज़माना नशे में जान न ले
कभी हम अपनी जबाँ कभी कदम देखतें हैं
पूरा न हो पायेगा इस जनम में प्यार मेरा
साथ तेरे हम अपने सातों जनम देखतें हैं-
नज़रें मिली' हम मिले' फ़िर हुआ क्या क्या न कुछ ख़बर
उन पर भी था सुरूर कोई हम भी शबाब पर-
नैन नशीले, होंठ रसीले चाल कटीली छूरी है
दिलों में बिजली गिराने की एहतिमाम पूरी है-
इश्क़ में उनकी मेरा दिल-ए-ज़ार है बहुत
मरहम-ए-उल्फ़त की हम को दरकार है बहुत
आँखों से कहती है जबाँ से कुछ नहीं कहती
दिल ए नादान कहता है उसे भी प्यार है बहुत
लिए सब्र बैठे हैं कि शब ए वस्ल भी आएगी
बे-करार हैं मग़र मुझ में इंतज़ार है बहुत-