जैसी जाकी बुद्धि है, तैसी कहै बनाय।
ताकों बुरा न मानिए, लेन कहाँ सो जाय॥-
रहिमन ओछे नरन सो, बैर भली ना प्रीत।
काटे चाटे स्वान के, दोउ भाँति विपरीत॥-
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय.
टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय.
रहीम दास✍️
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रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार.
रहिमन फिरि फिरि पोइए, टूटे मुक्ता हार.
रहीम दास✍️
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'तेरी मुस्कुराट पर यु हार जाते है
जैसे सतरंज की रानी को खो दिये है
तेरे खुशियो पर यु जान छिडक जाते है
जैसे रहीम बिना दोहो का मतलब ही ना जान पाते है
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रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय. टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय.
अर्थ : रहीम कहते हैं कि प्रेम का नाता नाज़ुक होता है. इसे झटका देकर तोड़ना उचित नहीं होता. यदि यह प्रेम का धागा एक बार टूट जाता है तो फिर इसे मिलाना कठिन होता है और यदि मिल भी जाए तो टूटे हुए धागों के बीच में गाँठ पड़ जाती है।।
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Rahiman Nij Mann Ki Vaitha Mann Hi Rakho Goye,
Sunahi Nithhalle Log Sab Baant Na Lewe Koye
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रहिमन धागा प्रेम का मत तोरो चटकाए..!
टूटे से फिर नाय जूरे, जुरे गांठ पर जाए..!!-
Rahiman dhaga prem ka
Mat todo chatkay
Tute se phir na jure
Jure gaanth pari jaya...-
रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय
टूटे पे फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ पड़ जाए
। रहीम के दोहे ।-