Kumar Sourabh   (I_m_mr._lonely_writer)
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Joined 10 October 2020


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Joined 10 October 2020
22 JUN AT 1:09

तेरे होते हुए भी गिरते थे आंसू मेरे..!
सोच तेरे जाने के बाद क्या हुआ होगा मेरा..!!

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16 JUN AT 22:10

तुम्हारा *तुम* कहकर रोज झगड़ना ..!
तुम्हारा *आप* कहकर बिछड़ने से अच्छा था..!!

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15 JUN AT 14:24

ये समझने में उम्र लग गई...!
कि बेगुनाह होना भी गुनाह है..!!

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15 JUN AT 14:23

मेरे बदन को नमी खा गई अश्कों की...!
भरी बहार में मकान ढहता है जैसे...!!

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14 JUN AT 23:58

मांगी हुई चीज कभी अपनी नहीं होती...!
न रिश्ता, न वक्त, न शख्स..!!

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15 MAY AT 0:00

जमाने भर से लड़ता रहा मैं जिसके लिए..!
वो लड़ गई मुझसे किसी ओर के लिए..!!

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11 MAY AT 15:12

सारे फरिश्ते ही मिले मुझे...!
कोई गलती करता ही नहीं मेरे सिवा..!!

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11 MAY AT 15:03

उसे पता ही नहीं इंतजार का दुःख...!
मैं कभी उसके पास देर से गया ही नहीं..!!

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10 MAY AT 0:37

जब जेब में लाखों हो तो,
लाखों देने के लिए लाखों मिलेंगे..!!

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10 MAY AT 0:29

फिर यही सोचकर उठा लाया
मैं भी अपना दिल उसकी दहलीज से..!
बेवजह उसकी चौखट पर तड़प रहा था..!!

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