अज़ीज़ था हमको यूं उनका हमें मुसल्सल निहारना,
आखिर क़ुर्बत की तिश्नगी लाज़मी होती है, जनाब ।-
फासले कुरबतो से बेहतर हो गए है
हिज़र में भी अब भलाई दिखती है !
कभी वक़्त के साथ मसरूफ थे हम
रिश्तों में भी अब परछाई दिखती है !
रहते हुए घर में घर से दूर थे हम
बेफिक्री से भी अब जुदाई दिखती है !
कमाने का जरिया नहीं और खर्चे तमाम है
भूखे पेट से भी अब लड़ाई दिखती है !
शोर करते शहरों में अब रोनक नहीं है
ख़ामोशीयों में भी अब तन्हाई दिखती है !
अपने बसेरे में रहकर ही लड़ना है
बंदगी में भी अब अच्छाई दिखती है !-
माना फ़ासले बहुत थे दोनों के दरम्यान
खामोशी नज़र में पसरी हुई सी देखी थी,
बहते अश्कों ने बयां कर दी अपनी क़ुर्बतें
मोहब्बत जो दिलों ने खुद में समेटी थी !-
Tumhari qurbat ab is kadar deewana bana rahi h..
Ki lagta hai dheere-dheere tere ishq m kaid hone ja rahi hu ...-
Qurbat main bhi doori hai jab pyar nahi majboori hai
Dil main agar mohabbat hai tab doori main bhi qurbat hai-
यूं तो तमाम दौलत से ये घर भरता है
फिर क्यूं अपनों की क़ुर्बत के लिए दिल मरता है
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Har chamkti kurbat mein ek fasala dekhun
Kaun aane wala hai, kiska raasta dekhun-
HUM UNAKE LIYE ROYE.
AB ITANEE BHI QURBAT NAHI.
OE HUM SE QURBAT HO JAYE.
ITANEE UNAKE AB AUKAAT NAHI.
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क़ुर्बतें हैं दरमियां मगर तूँ जुदा सा लगता है
पत्थर दिल है तेरा मगर तूँ ख़ुदा सा लगता है-