कच्ची उम्रो के ख्वाब को कोई मिट्टी में मिलाने लगा है,
सालों से घर को घर सा बनाये रखा था,
अब कौन कमबख्त घर को जलाने में लगा है,
लोगो से नहीं बनी तो हमने दीवारो से बनाये रखी थी,
मगर ये कौन है जो चूल्हे को दिवार से सटा कर पिघलाने में लगा है,
बीता हो जिस घर में बचपन सारा उस घर में उम्र भर के लिए अब ताला लगा है,
ये आहिस्ता आहिस्ता जिस्म से रूह अलग हो रही है,
इस हाल पर भी ये कौन सरफिरा है जो हमे समझाने में लगा है...!
~ गरिमा प्रसाद 🥀
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