तेरे लिबास से मोहब्बत की है,
तेरे एहसास से मोहब्बत की है,
तू मेरे पास नहीं फिर भी,
मैने तेरी याद से मोहब्बत की है,
क़भी तू ने भी मुझे याद किया होगा,
मैने उत्न लम्हो से मोहब्बत की है.
जिन्न मे हो सिर्फ़ तेरी और मेरी बाते
मैने उन अल्फ़ाज से मोहब्बत की है.
जो महक़ते हो तेरी मोहब्बत से,
मैने उन ज़ज्बात से मोहब्बत की है.
तुझे से मिलना तो अब एक ख्वाब लगता है,
इसलिए मैने तेरे इन्तजार से मोहब्बत की-
But if you treat me like a game... read more
Jism jahan jahan nahin sakta,
Wahan bejijhak pahunch jaati hain baatein
Kisi ko bina gale lagaye
Dil tak jaa sakti hain baatein"
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Thodi bewajah si hassi
Jeevan mein bharlo,
Baat karne se sab theek hojata hai Baatein Karlo!"
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झालर उतार दिए, लड़ियाँ लपेट रहे हैं
दिवाली बीत गई , अब ख़ुशियाँ समेट रहे हैं..!!-
उपवन नहीं मरा करते
जितने भी अँधेरे मिल जाएं जुगनू नहीं डरा करते
इक चिड़िया के मर जाने से उपवन नहीं मरा करते।
ऐसा भी क्या हठ है तेरा कब तक शोक मनाएगा
आँखों के इस दरिया से सागर नहीं भरा करते।
क्या देख रहा अम्बर को, क्यूँ उम्मीद लगाए बैठा है
छिटपुट प्रेम के बादल सहरा नहीं हरा करते।
किसी का हो वो दरिया चाहे किसी का उसका पानी
अपना हक़ आज़माने को किनारे नहीं लड़ा करते।
ऐसी ही ये दुनिया है ऐसा ही ये शहर है सम
इसके झूठे वादों पर जीवन नहीं अदा करते।-
Khushiyon Se Koi Ghar Na Rahe Khaalee Wishing You All
Dil Se Dil Vali Diwali...🪔💝-
यही जिंदगानी हैं....
यहाँ हर दिल में एक अधूरी सी कहानी हैं,
तन्हाइयों में हर किसी की जिंदगी रूहानी है....
बाहर से हर चेहरा हँसता हुआ नजर आएगा
भीतर से टटोलोगे तो हर आँख में पानी है...
कुछ यादें लिए बैठें हैं कुछ किस्से लिए बैठे हैं
यहाँ लोग एक दिल के कई हिस्से लिए बैठे हैं....
बैठिए किसी के पास कुछ पल हमराह बनकर
तभी जान पाओगे दर्द में कितनी सुनामी हैं....
कोई दर्द कह देता हैं तो किसी को कहना नहीं आता
कोई पत्थर बन जाता हैं किसी को चुप रहना नहीं आता...
सबकी आदत औरों को जानना हैं
और अपनी छुपानी है
चुप रहकर जिम्मेदारियां निभानी हैं
बस यही जिंदगानी हैं....-
मुझे बताना है तुम्हे...
मुझे बताना है तुम्हे कि, अब बदल गयी हूँ मैं।
प्यार बेशक आज भी करती हैं, मगर जताना भूल गयी हूँ
गुस्सा आज भी आता है तुम पर
लेकिन उस गुस्से को दबाना सीख गयी हूँ मैं
तुमसे बाते करने की आज भी तलब उठती है
मगर उस तलब को अपने अंदर दफन करना सीख गयी हूँ मैं।
आज भी तुम्हारी परवाह होती है
मगर बेपरवाह होना सीख गयी हूँ मैं।
दिल में आज भी दर्द होता है
मगर उस दर्द को छुपा कर मुस्कुराना सीख गयी हूँ मैं-
मुकम्मल तो फकत मैं उसे मिला था
जिसके साथ दर्द का सिलसिला था,
दास्तानों में ही सिमट कर रह गई मोहब्बत हमारी शायद मुकद्दर को इश्क़ से गिला था ।— % &-
कुछ तस्वीरे मिली..
कुछ यादें मिली
जो छुपा रखी थी जमाने से वो..
किताबें मिली.....!!-