मासूम सी इक लड़की।
हज़ारों की भीड़ में गुमसुम सी बैठी
शायद कुछ कहना चाहती थी,
आँखों की नमी ,बड़े से चश्मे मैं साफ़ नज़र आ रही थी
स्थिर नहीं था चेहरा उसका। यहाँ वहां देखे जा रही थी
शायद कुछ पूछना चाहती थी ,सिर्फ कुछ सवाल ।
हाँ कुछ ऐसे सवाल जिनका जवाब शायद मौजूदा कोई नहीं जनता ।
इक पल ऊपर देख कर फिर घडी की तरफ देखने लगती ।रोज़ देखा है मेने उसे । जो लड़की बिना कुछ सोचे घर से युही साधारण कपड़ो में निकल जाती ।
हाँ वही लड़की की आँखों मैं आज काजल नज़र आ रहा था ।हाँ शयद बालों को सवारने मैं भी माँ से डांट खाई है।शयद पहली दफा अपनी माँ से झूट कहा है उसने ।
आखिर क्या कर रही थी वो हाथ मैं इक किताब लिए ।
आज स पहले तो वह कभी नज़र नहीं आई ।
कुछ तो था उसकी किताब मैं,कुछ तो था उसके ख्याल मैं । शायद कोई देख न ले उसे यहाँ ,हाँ यही सोच कर डर रही थी ।
हाँ मैं , हाँ मैं ही तेरा इंतज़ार कर रही थी।😍
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