Ruchi   (रुचि✍️...)
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Joined 12 April 2021


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Joined 12 April 2021
12 MAY 2022 AT 0:48

वो इंतज़ार करती रही.....
और वो ख़्वाबों के ख़यालों में जैसे खो सा गया ।

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6 APR 2022 AT 0:40

अब आप सामने हैं तो कुछ भी नहीं हैं याद...
वरना कुछ आपसे , हमें कहना ज़रूर था...!

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8 FEB 2022 AT 22:20

तुम जो मुझसे कहते हो न...मैं आऊँ,
तो तुम वक़्त लेकर आना...!
तुम आओ तो सही ,मेरा वक़्त तुम्हारा ही होगा।

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19 DEC 2021 AT 9:21

मेरा इश्क़ जैसे बनारस की सुबह हो तुम,
तुम्हारा मेरा हो जाना, जैसे मन्नत हो तुम ।

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21 NOV 2021 AT 20:34

कोई निशानी ही बनना हो तो ऐसी बनो,
जिसे भूलने में ही चलती रहे ये रवानी।
न मरने का डर, न जीने का सबब,
यूँ ही मुकम्मल हो जायेगी ये ख़ूबसूरत ज़िन्दगानी।

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21 NOV 2021 AT 20:05

तुम पसंद आना इत्तेफ़ाक़ था....
तुम ही पसंद रह जाना इश्क़ है....

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27 OCT 2021 AT 0:18

किसी को जाने के लिए क्यूँ ही कहना...
जाने वाले ख़ुद रुकना नहीं चाहते ।

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23 OCT 2021 AT 21:19

तुम सुकून, जैसे बनारस की शाम
मैं परेशाँ ,भटकता इक शख़्स नाकाम।

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9 OCT 2021 AT 11:03

ये मन भी अब तनहा रह गया है...
कोई है नहीं जो गुफ़्तगू करे...

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22 SEP 2021 AT 0:49

ज़माने का क्या है...,यहाँ लोग कभी अपने तो कभी पराये बनते हैं।
ये दुनिया है ज़नाब...! लोग ख़ुद में खामियाँ ढूँढने के बजाय दूसरों के गिरेबान में झांकते हैं।

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