मेरी सारी गजलों में एक जिक्र तुम्हारा मिल जायेगा
ढूंढोगे तो मुझमे भी एक अंस तुम्हारा मिल जायेगा
कस्ती मेरी खोई है अब इश्क़ के गहरे दरिया में
तुम एक इशारा कर दो तो शायद किनारा मिल जायेगा
उसपे क्यूं तुम हँसती हो जो लड़का हो कर रोता है
क्या मतलब तुम लड़की हो तुमको तो सहारा मिल जायेगा
कब तक यूँ ही भटकेंगे हम राहों में बेदिल होकर
तुम देखो गर आइना , तो मेरा दिल बेचारा मिल जायेगा
तुम जान हो मेरी ,मुझसे यूँ नजरें ना फेरो यारा
हम जानते हैं की तुमको भी कोई हमसे प्यारा मिल जायेगा
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