Ashish Upadhyay   (आशिष उपाध्याय ✒️)
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Joined 28 April 2019


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8 HOURS AGO

फूल , परिंदे , चाँद , मोहब्बत सारी झूठी बातें हैं
मैंने सोचा दुनियाँ में एक गजल नई ले जाऊँ मैं

आग लगा दूँ अंबर में और जमीं पे तारे चमकाऊँ
मन करता है मेरा कुछ ऐसा वैसा कर जाऊँ मैं

तुम ऐसी हो , तुम वैसी हो सौ बात बनाऊँ दुनियाँ में
फिर याद तुम्हीं को करते करते लाखों ख्वाब सजाऊँ मैं

खुद पे विश्वास दिला कर क्यों उम्मीदें तोड़ू अपनों कि
इससे तो बेहतर होगा कल उठते ही मर जाऊँ मैं

कभी जान लगा दूँ जीने में, कभी पंखे से मैं जा लटकूं
खुद को थोड़ा-थोड़ा करके कच्चा ही खा जाऊँ मैं

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2 APR AT 23:03

वो छुप कर देखत है मोहे,मैं भी अँखियन मे ताकत हूँ
उसे लाज भगा लेवे भीतर, मैं अंतर मन में भागत हूँ

वो तूफानों की तेज़ पवन, जो साथ उड़ा ले जाये सब
मैं आवारा सा पंछी हूँ सो, पवन में गोते खावत हूँ

एक साँझ ढले कोई ऐसी भी कि ह्रदय से मुझे लगा ले वो
मैं भी बिलकुल पागल हूँ ये क्या क्या स्वप्न सजावत हूँ

नित चाँद तले आ जाये वो, फिर दुविधा में मन पड़ जाये
वो मध्यम मध्यम नृत्य करे, मैं थर-थर थर-थर काँपत हूँ

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13 MAR AT 19:51

वो शख्स ज़ब यहाँ से जा रहा होगा
यकीनन उसे कोई बुला रहा होगा

हज़ार सवाल जेहन में ठहर गए होंगे
वो जवाब देने से घबरा रहा होगा

तितलियाँ उड़ गई होंगी भौरे के साथ
एक फूल धूप में मुरझा रहा होगा

जिस से भी मिला होगा वो जाने के बाद
वही शख्स उसे भड़का रहा होगा

यूँ ही तो नहीं मिला होगा ये विरह मुझको
वो शायद मुझे आजमा रहा होगा

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3 MAR AT 22:22

𝗧𝗵𝗲𝘆 𝘄𝗶𝗹𝗹 𝘀𝗮𝘆, "Let her go if she wants to depart..."
But if she were yours, she’d never break your heart.

If she truly loves you, she will stay by your side,
She'll never speak of leaving or drifting apart wide.

𝗕𝘂𝘁 𝗶 𝘀𝗮𝘆, don’t let her go, keep her near,
No matter how much she says she must disappear.

Maybe there’s a misunderstanding or a mistake you made,
Sit with her, speak your heart, let the past evade.

Love is priceless, protect it from the world’s cruel sight,
Fight for it with all your heart, don’t give up without a fight.

Don’t leave it to fate, waiting for what time may decide,
If it’s your love, then battle the world, let nothing divide.

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31 OCT 2024 AT 0:10

ह्रदय के अपने हर कोने में दीपक एक जलाना तुम
दुनियाँ सारी अंधकार है , खुद को आग बनाना तुम

पुरजोर बता देना सबको एक रोज अंधेरा बीतेगा
कष्टों के काले अंबर पे सूर्य खुशी का जीतेगा
फिर से होगी एक नई सुबह इस रूखे सूखे जीवन में
धैर्य से कैसे रहते हैं यह सागर हमसे सीखेगा
फिर भी यदि इस जीवन में कोई अंधकार से भर जाए
तो हाथ पकड़ कर उन लोगों का दिल फिर से धड़काना तुम
ह्रदय के अपने हर कोने में दीपक एक जलाना तुम
दुनियाँ सारी अंधकार है , खुद को आग बनाना तुम

महलों मे रहने वाले भी जब वनवासी हो जाएंगे
जब ठाट बाट से जीने वाले सन्यासी हो जाएंगे
तब देखना तुम हर रोज धरा पे गमों का रावण हारेगा
और सुख जो भी हैं जीवन में वो अविनाशी हो जाएंगे
फिर ज़ब रोज अंधेरा बीतेगा हर रोज दिवाली आएगी,
बाँट के सबको अपनी खुशियाँ पल-पल जस्न मनाना तुम
ह्रदय के अपने हर कोने में दीपक एक जलाना तुम
दुनियाँ सारी अंधकार है , खुद को आग बनाना तुम

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11 MAY 2024 AT 13:45

केवल कुछ क्षण के बंधन को, दीवार नहीं कह सकती तुम
एक बार कहा सो चलता है, हर बार नहीं कह सकती तुम

एक रोज मिले, कुछ बातें की, हाथ मिलाया, गले लगे
ये सब तो आकर्षण है, इसे प्यार नहीं कह सकती तुम

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16 MAR 2024 AT 22:42

ख्वाब तुम्हारे खो दिए मैंने, ना ख्याल ही दिल मैं बाकी है
ज़ब से तुमसे बिछड़ा हूँ, कब कौन ही अपना साथी है

जान तुम्हारे गम से पहले, जो कुछ भी थे, कुछ तो थे
लेकिन ज़ब से विरह बड़ा, बस गम ही अपना राही है

हर बार तुम्हारी याद ने जाना! मुझपे खूनी वार किये
हर बार जिस्म से लहू बहा, हर बार बताया स्याही है

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1 JAN 2024 AT 8:59

ना तुम ही आई मिलने को, ना हाल संभाला अपना ही
याद मे तेरी गुम होकर, एक साल बिगाड़ा अपना ही

ये ह्रदय में कैसी हलचल है, किसने अंदर अवतार लिया ?
बस यही सोचकर जीवन भर, सारा जीवन बेकार किया
कब किसने मुझमे जीत चुनी, कब कोई मेरे पक्ष मे था
यह प्रश्न स्वयं से है मेरा, कब किसको मुझ से प्यार हुआ
मगर हमारे हर प्रश्नों का उत्तर मिलना मुश्किल है
सो हमने अपने प्रश्नों से एक ख्वाब सजाया अपना ही
ना तुम ही आई मिलने को, ना हाल संभाला अपना ही
याद मे तेरी गुम होकर, एक साल बिगाड़ा अपना ही

मूल रत्न धन के चक्कर मे, प्रेम रत्न धन गवा दिया
हमने अपने टूटे दिल का स्वयं तमाशा बना लिया
सो अब हालत ऐसी है की बस आँखें बहती रहती हैं
कोई पूछे तो कह देता हूँ, जीवन अपना बहा दिया
और ऐसे मुर्दा जीवन का भी नाज़ उठाये फिरता हूँ ,
फिर इस जीवन के चक्कर में उठा दिवाला अपना ही
ना तुम ही आई मिलने को, ना हाल संभाला अपना ही
याद मे तेरी गुम होकर, एक साल बिगाड़ा अपना ही

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14 NOV 2023 AT 19:03

ये दुनियाँ मेरे बारे में क्या कहती है मुझे क्या मतलब
मेरी दुनियाँ तुमसे है, सो तुम बोलो मैं कैसा हूँ...

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10 SEP 2023 AT 12:00

हर तरफ आशिकी है किधर जाओगी
मेरी यादें मिलेंगी जिधर जाओगी

पत्थर की हैं सारी राहें यहाँ
खाओगी ठोकरें तो बिखर जाओगी

सब मशीनें हैं कोई भी इंसा नहीं
किस से बातें करोगी,किसके घर जाओगी

ज़ब मिलेगा ना कोई भी मेरी तरह
सिसकोगी, रोओगी और मर जाओगी...

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