Ashish Upadhyay   (आशिष उपाध्याय ✒️)
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Joined 28 April 2019


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16 MAR AT 22:42

ख्वाब तुम्हारे खो दिए मैंने, ना ख्याल ही दिल मैं बाकी है
ज़ब से तुमसे बिछड़ा हूँ, कब कौन ही अपना साथी है

जान तुम्हारे गम से पहले, जो कुछ भी थे, कुछ तो थे
लेकिन ज़ब से विरह बड़ा, बस गम ही अपना राही है

हर बार तुम्हारी याद ने जाना! मुझपे खूनी वार किये
हर बार जिस्म से लहू बहा, हर बार बताया स्याही है

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1 JAN AT 8:59

ना तुम ही आई मिलने को, ना हाल संभाला अपना ही
याद मे तेरी गुम होकर, एक साल बिगाड़ा अपना ही

ये ह्रदय में कैसी हलचल है, किसने अंदर अवतार लिया ?
बस यही सोचकर जीवन भर, सारा जीवन बेकार किया
कब किसने मुझमे जीत चुनी, कब कोई मेरे पक्ष मे था
यह प्रश्न स्वयं से है मेरा, कब किसको मुझ से प्यार हुआ
मगर हमारे हर प्रश्नों का उत्तर मिलना मुश्किल है
सो हमने अपने प्रश्नों से एक ख्वाब सजाया अपना ही
ना तुम ही आई मिलने को, ना हाल संभाला अपना ही
याद मे तेरी गुम होकर, एक साल बिगाड़ा अपना ही

मूल रत्न धन के चक्कर मे, प्रेम रत्न धन गवा दिया
हमने अपने टूटे दिल का स्वयं तमाशा बना लिया
सो अब हालत ऐसी है की बस आँखें बहती रहती हैं
कोई पूछे तो कह देता हूँ, जीवन अपना बहा दिया
और ऐसे मुर्दा जीवन का भी नाज़ उठाये फिरता हूँ ,
फिर इस जीवन के चक्कर में उठा दिवाला अपना ही
ना तुम ही आई मिलने को, ना हाल संभाला अपना ही
याद मे तेरी गुम होकर, एक साल बिगाड़ा अपना ही

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14 NOV 2023 AT 19:03

ये दुनियाँ मेरे बारे में क्या कहती है मुझे क्या मतलब
मेरी दुनियाँ तुमसे है, सो तुम बोलो मैं कैसा हूँ...

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10 SEP 2023 AT 12:00

हर तरफ आशिकी है किधर जाओगी
मेरी यादें मिलेंगी जिधर जाओगी

पत्थर की हैं सारी राहें यहाँ
खाओगी ठोकरें तो बिखर जाओगी

सब मशीनें हैं कोई भी इंसा नहीं
किस से बातें करोगी,किसके घर जाओगी

ज़ब मिलेगा ना कोई भी मेरी तरह
सिसकोगी, रोओगी और मर जाओगी...

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5 SEP 2023 AT 14:08

फिर एक दिन,
अंधेरों मे सितारे नहीं आए
या'नी की तुम आए ,
मगर सारे नहीं आए

जो तुम्हारी,
आँखों के समुन्दर में डूबे थे कभी
वो मर के भी,
आज तक किनारे नही आए

एक ख्वाब में,
मैंने तुम्हे पराया देखा(2)
उस दिन से,
मेरी छत पे सितारे नहीं आए ...

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19 AUG 2023 AT 14:53

एक वक़्त था जिस वक़्त के
हिस्से में, मैं आया नहीं..
★★★★★★★★★★★★★




Full Nazm in caption.. 👇
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10 JUL 2023 AT 20:36

दिल में छुपा लेती हो इज़हार नहीं करती !
प्रिय तुम अब पहले जैसा प्यार नहीं करती...

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18 JUN 2023 AT 11:48

आज हमने अपना दिल्ली छोड़ दिया
या यूँ कहें की अपना दिल ही छोड़ दिया

एक उम्र तक डरते रहे वो हमें ना छोड़ दे
लो उम्र आई तो हमने ही छोड़ दिया..❣️

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5 JUN 2023 AT 23:29

एक सुंदरी नारी को देखा इन नई आँखों ने ज़ब
दीप सागर से ह्रदय मे प्रज्वालित होने लगे
अंधकार से भरी तन्हा मेरी रातों में तब
चाँद, तारे और जुगनू सम्मिलित होने लगे

चलने लगी पावन हवाएं मेरे मन मजधार में
खिलने लगे गुल गुलाब के पड़ जो गए थे प्यार में
सो खौफ को रख कर किनारे प्रेम जाहिर कर दिया
और शीश अपना रख दिया प्रेम की तलवार में

वो चुप रही कुछ ना कहा पर बिन कहे समझा गई
मुस्कान उसके मुख की सीधे मन को मेरे भा गई
फिर चाहतों का दरमियाँ कुछ कारवाँ ऐसा चला
मैं उसके दिल मे आ गया वो मेरे दिल में आ गई

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8 MAY 2023 AT 13:38

हम मुसाफिरों को अपना कोई ठिकाना नहीं मिला
पत्थरों पे रात बिताई कभी सिरहाना नहीं मिला

आँखों पे लिपटी रही एक धुंद गलतफहमी की
हादसे होते रहे , मगर हर्जाना नहीं मिला

एक उनकी चाहत में जाने कितने फसाद हुए
कभी वापस हमें चाहतों का फ़साना नहीं मिला

आधी उम्र गुजर गई एक ख्वाब की मदहोशी में
जो उतार सके ये नशा ऐसा मैखाना नहीं मिला

तुम्हें मिली होगी तुम्हारी जैसी एक दुनियां,'आशिष',
हमें तो हमारे जैसा एक जमाना नहीं मिला

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