इतिहास के विवादित ढांचे सा,
एक अरसे से मैं खड़ा हूं वहीं,
लोग आते जाते देखते है पर,
ठहरा अभी तक कोई नहीं,
ठहरे भी मगर कोई आखिर क्यूं,
पुरानी बातो में क्या रक्खा है,
ये वक़्त पश्चिमीकरण का है,
खुद की संस्कृति में क्या रक्खा है,
बस यही वजह है पलायन की,
समझे भी कोई मगर कैसे,
ये पल है भागादौड़ी का,
कोई क्षण भर के लिए भी थमे कैसे।-
मोहताज हो गई है देशभक्ति भी हमारी चंद तारीखों की,
जागती है ये बस कुछ खास कार्यक्रमो से,
बाकी दिनों में चाहे भले ही मर जाए सब,
ग़रीबी,भुखमरी और बेरोज़गारी से,
गर वाकई दिखानी है देशभक्ति तो हर रोज़ दिखाओ,
छोड़ते क्यों हो तुम हर बात सरकार पे,
कुछ कार्यों का बीड़ा तुम खुद भी उठाओ,
पर इतना सब हमने गर जो कर दिया,
तो शायद देश का विकास हो जाएगा,
और देश के कुछ तथाकथित लोगो का दायित्व जो छिन जाएगा,
उठेंगे कल फिर हम और कोसेंगे नेहरू को इसके लिए,
अब ज़िम्मेदारियों का बोझ है कहीं तो सरकाना पड़ेगा।-
I hate politics, and I hate politicians,
I won't ever step into that cesspool.
But I need my rights.
I hate cleaning and I hate cooking,
I won't ever step into that kitchen.
But I need my food.-
आओ थोड़ी बहस कर लें
फ़िर किसी आँख का तारा टूटा है
खिले ही थे कुछ नन्हे फूल
फ़िर किसी लालच ने उन्हें लूटा है
पुतला फूँको मोमबत्ती जलाओ
फ़िर किसी का वादा हुआ झूठा है
तेरा है मेरा है हमारा है अपराध
फ़िर खोला गया सियासी खूँटा है
माफ़ करना ओ मासूम फरिश्तों
फ़िर झूठी आज़ादी का राग कूटा है
- साकेत गर्ग-
खो जाने दो ख़ुद को
इन वादियों में
इन नज़ारों में,
दुनिया की रंगीनी
इन भरे बाज़ारो में,
भूल कर भी रुख़ ना करना
चौकों का
चौराहों का,
वहां धन्धा चलता है
मज़हब का
सियासत का....
(पूरी कविता caption में पढ़ें)
- साकेत गर्ग-
Yahan sabhi Dost hain Bhai se...
Bus Awaam mein Shamil kuchh Kasaai se.
Mulk ka haal Waise Achcha hai...
Beharhaal Akhbaar bharey hain Buraai se.-
Too many Jokes on our PM is not Good..
Although the Jokes are too Good !!-
"Hey, how are you?"
"Don't ask! My identity is a mess right now."
"Why? What happened?"
"Well, that's what happens when you let a coalition govern you."
[ A Whatsapp Conversation]
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वर्तमान परिदृश्य में नेता कर रहे सरेआम
प्रदेश में जनादेश का निर्मम क़त्ल ए आम-