किस्मत की लकीरों के भरोसे बैठा रहा वो
गुजर गई किस्मत लकीरों की तंग गलियों से
कह गई कानों में, कुछ तू चल कुछ मैं बढूं
जिंदगी होगी रंगीन, रंग भरी रंगोलियों से
किए त्याग हजारों तूने, कई सपने जो सजाए
तन मन की तारतम्य बना, कुछ बात बन जाए
यूंही नहीं मिलती मंजिले, गुजरने होंगे पगडंडियों से
जिंदगी होगी रंगीन, रंग भरी रंगोलियों से
अवसर की तुम ताक में बैठे, चूक गए कई निशाने
अवसरों ने दस्तक दिए, तुमने दबाए तकिए सिरहाने
बहुत हुआ आलस्य का आलम, तू रख हिम्मत हथेलियों पे
जिंदगी होगी रंगीन, रंग भरी रंगोलियों से
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