साथ नहीं देता कोई.. यहाँ हर मोड़ पर
हमसफर भी चले जाते हैं तन्हा छोड़ कर-
वही तो हम यहां लिखने आए हैं...
हमारी रचनाएं काल्पनिक ... read more
उनके आग़ोश के बिना ए दिल जीना भी क्या कोई जीना है
दर्दे दिल की महफ़िल में बिना ग़म पीना भी क्या कोई पीना है-
जरा सी बात थी
और वो हमसे रूठ गए
जो हमसफर थे उम्र भर के
वो बीच सफर में ही छूट गए-
जो तुम नहीं मिलते तो ये ग़म नहीं मिलते
फिर ये नैन हमारे भी यूँ नम नहीं मिलते
ग़र होता साथ हमारे कोई इस कारवां में
फिर हम भी महफ़िल में कम नहीं मिलते-
हम परिंदों का है ये आसमां
अब इस जमीन पर हमारा ठिकाना कहां
ऊंची उड़ान का तो है अरमां
पर अब पंखों से उड़ने का जमाना कहां-
हमारे बीच में कुछ तकरार है क्या
हमारे दरमियां कोई दीवार है क्या
मुझे लगा कि तुम अब गैर हो गए
तुम्हें मुझसे अब भी प्यार है क्या?-
शाम होते ही तन्हाई में ये तेरी यादें मुझे घेर लेती हैं
फिर रातभर के लिए मुझे आंसुओं में बिखेर देती हैं-
ये रात मेरे साथ रोती क्यों नहीं
ये सूर्ख आंखें सोती क्यों नहीं
गमे अंधेरा छाया है दिल पर
प्यार की सुबह होती क्यों नहीं-