प्रिय गृहणी
खिड़की से झाँको यदि
तो तुम्हें चिड़िया दिखे बाहर
खिड़की पर पड़ी धूल
उतनी ना दिखे की चिड़ियाँ के पंख ना देख पाओ।
भोजन उतना ही बनाओ
की तुम्हारी खीज और थकान
खाने वाले को व्यथित ना कर दे।
स्वाद उतना ही हो कि
शांत मन से खाया जा सके।
तुम जब कड़ाही में कड़छी चलाओ
तो उतनी ही तल्लीन होना की
रोते शिशु को सारा काम रोक
अपना आलिंगन दे पाओ,
भोजन परोसो जब
तो भोजन में व्यंजन उतने ही हो
की प्रेम से परोसे जा सकें।
त्यौहार जब आये घर में
उनके आगमन की प्रसन्ता
तुम्हारी चिंताओं से ज्यादा रहे,
बर्तन माँझते समय,
तुम उन्हें उतना ही घसना
की उसके कोलाहल से कोई नींद ना टूटे।
उतनी ही कुशल होना की तुममें हमेशा कोई कमी रह जाये...-
Neha Bhavsar
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"विविधा" (vividha by Neha)मेरी कला को मुझसे जोड़ता मेरा छोटा सा क़दम जहाँ मैं handmade jewel... read more
Joined 17 July 2017
9 APR 2022 AT 7:10
17 FEB 2022 AT 13:42
मैंने स्वयं के लिए ठगा जाना चुना मैं तुम्हें शापित देखना चाहती थी।
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17 FEB 2022 AT 13:35
ज़हर भीतर जाए तो या प्राण निकाले
या असर ना करे।
तुम कभी पूरे मेरे नहीं हुए
ये जानते हुए की आधा होना
कितना जानलेवा हो सकता है।-
8 FEB 2022 AT 8:03
श्रद्धा की सीढ़ी उतर डूबा जाता है प्रेम में। ईश्वर के होने का कोई निश्चित स्थान नहीं है...
तुम जल में पाँव रखने पर उस जल से भी क्षमा मांग सकते हो।-
4 FEB 2022 AT 22:45
संभावनाओं के पुल पर यदि तुम आख़िरी फ़ूल हुए तो जीवन भर के लिए मुझे धूप होना है...
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26 JUN 2021 AT 9:23
जीवन की नदी में अंत तक जमे नव वधु के पैर,शालिग्राम हो जाते हैं... तुम्हें साधारण पत्थर से शालिग्राम की यात्रा अनुभव करनी हो तो किसी स्त्री के पैर देखो।
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17 JUN 2021 AT 23:33
तुम इतने बूढ़े कभी मत होना की नए बदलाव को अपना ना पाओ ना इतने जवान होना कि पुराना सब बदल दो।
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