राजा साहू का बालाजी विश्वनाथ पर अथाह विश्वास था, कई बार जान की बाजी लगा कर उसने अपने राजा की रक्षा की थी; और इसी बात से प्रभावित होकर राजा ने सम्पूर्ण मराठा साम्राज्य की बागडोर उसके हाथों में थमा दी, और यहीं से पेशवा की शुरुआत हुई...
अंत में देहांत से पहले साहू ने अपनी वसीयत और कामकाज पेशवा के हाथों सौंप डाली थी, और सबसे मंझी बात यह है कि इन पेशवाओं का ध्येय गद्दी से कोसों दूर केवल और केवल अपने राज्य का विस्तार करना भर रहा...
स्वार्थ, धोखाधड़ी और चालाकी से दूर इन पेशवाओं ने हमेशा अपने रीजन के एक्सपेंडेशन के बारे में सोचा, यह राष्ट्र भावना, प्रेम विश्वास और निश्छलता आज न जाने कहां गुम हो गई है...
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24 SEP 2021 AT 16:34
7 JUN 2020 AT 22:42
पेशवा बाजीराव...
अटक से कटक तक,
जीत हासील कर आया वो,
घर की देहलीज पर आकर,
रीश्तो से हार गया वो...-
26 APR 2021 AT 17:12
थर थर काप रहा था
ये दिल्ली का तख्त सारा ,
जब युद्ध भूमि में ये राव चले।
शेर की दहाड़ चारो ओर हो जब
ये श्रीमंत बाजीराव बलहाड़ की ये समशेर चले।
✍️ _im_shri-
28 APR 2019 AT 14:18
कुठाय तुझं शौर्य?
कुठाय तुझ्या तलवारीचा खणखणाट?
कुठाय तुझं क्षत्रियपण?
कुठाय तुझा निनाद?
कुठाय तुझं बलिदान?
कुठाय तुझा सन्मान?
इथे दिसली फक्त तुझी मस्तानी!
अन लक्षात राहिली जात तुझी!-