Prince Sharma  
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Joined 11 February 2018


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Joined 11 February 2018
23 JAN 2023 AT 0:30

'मैं, मेरा और मद'
नहीं है ज़िंदगी
'दो-चार दिन' है ज़िंदगी

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20 SEP 2022 AT 23:30

हैल्पर से डींगे हांकता ड्राइवर...
डैशबोर्ड में लगा म्यूजिक प्लेयर, प्रत्यक्ष है...
रोमांच से भरपूर सफर भी एक वक्त बाद उबाऊ हो जाता है

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12 SEP 2022 AT 0:02

Lazim hai Hasrat mein hadse
Waqt ko ittihaam kr waqt zaya ni kia krte...

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4 SEP 2022 AT 3:52

रात जो जाग रही होती है
The last coach

सीट RAC थी, थकान के कारण थोड़ी देर तो आंख लगी मगर जब उठा तो हाथ पूरी तरह अकड़ चुका था, दर्द ऐसा मानो गहरी नींद में हाथ की नस खिंच गई हो। लंबे समय से करवट नहीं बदली लिहाज़ा गर्दन और कंधे में भी दर्द शुरू हो गया था। इन सबसे निजात के लिए सोचा कि अब दिल्ली दूर नहीं कुछ घंटों का सफर यूं ही बैठकर तय किया जा सकता है। खैर...

अनुशीर्षक से जारी रखें...

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21 AUG 2022 AT 0:28

खबरों में अक्सर सुसाइड नोट को शब्दश: लिखना मुश्किल होता है, सुसाइड कर्ता के आंसुओं से शब्द ब्लर हो जाते हैं...

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19 AUG 2022 AT 23:03

इल्तिज़ा में मशगूल इंसां, इंसां के लिए
जहां में मिल्कियत कोई किसी की नहीं...

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26 JUL 2022 AT 22:26

मरना आसान होता
अगर, मरना आसान होता

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24 JUL 2022 AT 22:04

हम...
मुश्किलों का लबादा ओढ़ कर नहीं
उन्हें जज़्ब कर चैन की नींद सोते हैं...

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22 JUL 2022 AT 22:33

ज़िंदगी खामोश है एक शख़्स के लिए
गमों का उम्र भर तकाज़ा हमने जो कर लिया

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19 JUL 2022 AT 10:12

अरमां किए जा सकते हैं पूरे, संगम (त्रिवेणी) के बगैर
चाह में तुम्हारी ये कश्ती बोझ तले क्यों रहे!

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