1222 1222 1222 1222
दिखाई कुछ नहीं देता तेरी यादों का पहरा है,
है ग़म की रात भी गहरी,हिना का रंग गहरा है।
निकलना इससे मुश्किल है मिलें उससे भला कैसे,
हुए हैं क़ैद हम दोनों बस अब यादों का सहरा है।
मुहब्बत करने वालों की कोई सुनता नहीं हमदम,
ये दुनिया कुछ नहीं सुनती हुआ इंसान बहरा है।
नहीं कुछ सूझता है अब निगाहें उसको बस ढूंढ़ें,
हुआ दीवाना दिल देखो ये उस पे आके ठहरा है।
जो डूबा इश्क़ में देखो उबरना उसका है मुश्किल,
समंदर इश्क़ का यारो ये होता इतना गहरा है।
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