QUOTES ON #PEHRA

#pehra quotes

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21 MAR 2019 AT 2:44

पहरे होते थे चेहरे पर पहले ...
.. अब चेहरे पर पड़ा चेहरा ही काफी है

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6 SEP 2017 AT 22:29

यूं कतरा-कतरा टूट कर बिखर रहा...
जो ये लफ्ज़ आज ख़ामोश बैठे है...
आंखों की बारिश,मांगती है तुझे रब से..
हाँ आज फिर....
इस रात पर तेरी ही यादों का पहरा है..

- Aashi ❤









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18 AUG 2020 AT 8:51

सुबह की चाय का रंग गहरा लगे है
इसमें तो तेरे इश्क़ का पहरा लगे है

कुछ तो ख़ास है तेरी इस चाय में
पीने वाले का रंग सुनहरा लगे है

और घूंट दर घूंट जो पीता इसे है
उसे भागता वक़्त भी ठहरा लगे है

क्या राज़ है इस तिलस्मी चाय का
ये तो तेरी ही यादों का सहरा लगे है

बहुत तलब है हमें इस चाय की तेरी
इसमें तेरे इश्क़ का अक्स गहरा लगे है

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9 NOV 2020 AT 16:02

वो मासूम चेहरा सादगी का पहरा
तब्दील ए मौसम भी हो गया गहरा

फ़िज़ा में जाने कैसी रंगत है छाई
आसमां पर दीदार को चाँद है ठहरा

ख़ुदा की नवाज़िश ओ करम है ये
लाखों में बनाया वो मेरे लिए चेहरा

फिर किसे होश ओ हवास रहता है
बा ख़ुदा मैं ईमान से हुआ हूँ बहरा

शब गुज़र गई जाने कब तसव्वुर में
आमादा है यादों का दश्त ओ सहरा

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21 FEB 2020 AT 9:01

क्यों घूँघट को बनाये रखती हो तुम बेवजह का पेहरा,
क्या कम क़यामत धाता है, तुम्हारा ये नूरानी चेहरा.

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22 JUL 2022 AT 17:44

1222 1222 1222 1222
दिखाई कुछ नहीं देता तेरी यादों का पहरा है,
हिना का रंग ये बोला कि तुझसे इश्क़ गहरा है।

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24 JUL 2022 AT 19:12

1222 1222 1222 1222
दिखाई कुछ नहीं देता तेरी यादों का पहरा है,
है ग़म की रात भी गहरी,हिना का रंग गहरा है।

निकलना इससे मुश्किल है मिलें उससे भला कैसे,
हुए हैं क़ैद हम दोनों बस अब यादों का सहरा है।

मुहब्बत करने वालों की कोई सुनता नहीं हमदम,
ये दुनिया कुछ नहीं सुनती हुआ इंसान बहरा है।

नहीं कुछ सूझता है अब निगाहें उसको बस ढूंढ़ें,
हुआ दीवाना दिल देखो ये उस पे आके ठहरा है।

जो डूबा इश्क़ में देखो उबरना उसका है मुश्किल,
समंदर इश्क़ का यारो ये होता इतना गहरा है।

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9 DEC 2018 AT 10:55

क्यु चुप हे
क्यु लबो पे तेरे पहरा हे?
यु गुमसुम हे
कोई जख्म इतना गहरा है?

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12 AUG 2021 AT 19:05

समंदर है गहरा, समंदर की खामोशी को मैंने आज़माया है
कोई तो है जिसने आज एक नज़्म फ़रमाया है
कहते हैं समंदर और नज़्म का रिश्ता बहुत गहरा है
दोनों के ऊपर ख़ुदा के ख़ुदाया का पहरा है।

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4 JAN 2021 AT 1:03

ख़यालो पे तुम गहरी नज़र रखती हो,
ऐ "नींद" तू बड़ी बेदर्द सी हैं....
जब ना चाहो तो ख़यालो में उलझाएं रखती हो
गर जो उलझना चाहो तो पहरे लगाए रखती हो...!!??

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