तेरा मेरा रिश्ता?
तू बूँद है पानी की, मैं प्यासा समुन्दर
तू धुन हो जैसे और मैं गीत कोई
तू बारिश का पानी, मैं माटी की खुशबू
तू आवाज़ हो जैसे, मैं बात कोई
तू शाम की ठंडक, मैं तपती दुपहरी
तू सर्द हवा, मैं कुल्हड़ की चाय
तू चाँद सा शीतल, मैं तारों की चादर
तू जुगनू का नूर और मैं रात की चाँदनी
तू किताब हो जैसे, मैं उसमें लिखी कविता
तुझे चाहूं तो चाहत को खुद पर नाज़ हो जाये
तू मिले जो मुझे, मेरी ज़िंदगी का आगाज़ हो जाये।
कैसे कहूँ तेरा मेरा रिश्ता...
मैं नाव हूँ, तू पतवार मेरी
मैं दिल हूँ, तू धड़कन मेरी
मैं गीत हूँ, तू संगीत मेरा
मैं रूह हूँ, तू सुकून मेरा।
मैं रेगिस्तान में जलता बदन कोई,
तू पहली बारिश की फुहार हो जाये
जो तू मिले, मिल जाये सब कुछ,
इस ढलती रात की सुबह हो जाये।
मैं कैसे लिखूं रिश्ता तेरा मेरा...
के दुनियां भर की किताबें कम पड़ जाये।-
Making a boundry around my heart,
Because i wanna protect the sensitive feelings... read more
क्यो न आज कुछ यूँ तुम मेरी पहचान रखलो,
कि मैं मुर्दा ही सही,
और तुम,
मेरी जान रखलो।
कि मैं एक धुन ही सही,
और तुम,
मेरे संगीत का सार रखलो।
कि मैं एक हर्फ़ ही सही,
और तुम,
मेरे सारे अल्फ़ाज़ रखलो।-
Tere sirhane sokar...
Wo ek raat ki neend kafi hai,
Hafte bhar mujhe jagaane ke liye !!-
ज़रा कीमती हैं चाहत मेरी,
इसे खरीदने के लिए...
कुछ ज़ज़्बातों को बेचना होगा !-
ऐसा नहीं की मैं अब लिखती नहीं,
हर रोज़ ही उनके करीब बैठकर...
अपनी आँखों में ज़ज़्बात इत्मिनान से लिखती हूँ।
वो करीब आकर उन्हें इस तरह से पढ़ते है
कि जो कुछ भी लिखा,
इन धड़कनो के साथ मैं वो भी भूल जाया करती हूँ।
कुछ इस तरह बहते जज़्बातों को प्यार से हटाते है वो
की बूंद बूंद हर लम्हे को ही
बस उनमें बह जाने दिया करती हूँ।-
बोहोत प्यारी और थोड़ी पागल सी है
वो अपने एहसासों के कतरों को धड़कनों के साथ बहा देती है
नदी है, प्यार से बहती जाती है।
लाख आजमा ले दुनिया उसको,
दरिया में डूबकर कुछ पल खो सी जाती है,
कश्ती है, झील के उस पार जाकर फिर लौट आती है।
एक कशक है मुस्कुराहट में उसकी,
सारे दिलों को छू जाती है
जाने कैसे वो बिन कहे ही मुझे समझ जाती है।
एक अपनापन सा है बातों में उसकी
बोहोत जल्दी मिठास सी घुल जाती है
अपनी हँसी की खनक से हमेशा जादू सा कर जाती है।-
बस कुछ अनकहे ख़्वाब,
और कुछ भी तो नहीं...
मेरी ज़िंदगी तुम्हें चाहने लगी,
अपनी ज़िंदगी बनाकर,
एक ख़्वाब ही की तरह।
यूँ मुनासिब तो नहीं तुम्हें अपना कहना...
मग़र मैं हर रात,
तुम्हारे पास ही सोने लगी
एक एहसास ही की तरह।
कितनी बातें कितनी कसमें
जाने कैसी कैसी रस्में
मैं तो बस तुम में ही ढलने लगी,
तुम्हारी होकर तुम्ही में खोकर,
तुम्हारी सांस ही की तरह।
जरूरत भी तुम्ही, ख़्वाहिश भी,
मेरी हर एक नज़र की ज़न्नत भी तुम्ही
मैं तो तुम्हें अल्फ़ाज़ों में पिरोती गयी,
मेरी किसी ख़ामोश नज़्म ही की तरह।-
इन अश्क़ों को ईश्क़ की नुमाइश का तलबगार मत समझ लेना...
ये गिरते भी है, तो सिर्फ़ एहसासों को बहाने के लिए !!-
I'm sitting at the train's window seat
Looking at the changing schenerio
It is just like my heart and my brain
Sometimes city sometimes village
Sometimes trees sometimes sand
Day has changed into night
But my thoughts are stuck somewhere
I'll reach the destination
But what about my inner peace
When will it find its destination
No one have the answer
And my playlist which having only one song
Played 20 times...
And hardly i heard that once.-