wo dour v aaya
Safar mai
Jab mjhe apni pasnd se v
Nafrat hui...-
Ishq ke alawa or bhi gum hai zamane me....
Hmse pucho jaan nikal jati hai Lauki ki sabji khane me.....🥴-
"तुम रूठते तो मना लेती मैं,
तुम्हारे दिल पर प्रेम के
चंद शब्दों को उकेर कर!
....
पर इन रूठी कविताओं को
मनाना मेरे बस में नही,
आजकल तुरंत मना कर देती है
तुम्हारे बारे में कुछ लिखने से!"-
उन्हें मैं बेहद पसंद करता हूँ ये बात सच्ची है,
तभी तो मेरे लिए इंतज़ार-ए-मोहब्बत भी अच्छी है।-
मुझे उन लोगों से कोई दिक्कत नहीं है
जो मुझे पसंद नहीं करते
मुझे दिक्कत उन लोगों से है
जो मुझे पसंद करने का दिखावा करते हैं-
बस एक दूल्हा,
घरवालों की पसंद का था !
वरना लहंगे से,
लेकर गहने सारे के सारे !
औऱ गहनों से,
लेकर सामान सारा दहेज का !
उस दुल्हन के,
पसंद का ही तो था यार !-
वक़्त के साथ "पसंद" बदल सकती है..
"मुहब्बत" कभी नहीं...
और जो बदल जाए..
वो "मुहब्बत" है ही नहीं..!!💓-
तो आज कुछ यूँ
कि कुछ लोग गुलजार की गजल की तरह होते है
ना चाहते हुये भी बहुत अच्छे लगते है-