परिश्रम की
आंच में
तप कर
कुंदन हुई
निखरी
हां
तुम
बेहद खूबसूरत हो ..!-
तुमने जो सपने देखे हैं,
उन को हासिल करने की कोशिश करो...
हार न मानकर,
वर्तमान में...
अपनी पूरी लगन से परीश्रम करके,
भविष्य में एक सफल व्यक्ति बनो !!!
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प्रगति के पथ को तुम
पियूष सुधा सा महकाओ!
नित रोज क्षितिज पर चमको तुम
येसा कुंदन बन जाओ..!!-
आजाद पक्षी
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स्वार्थ की दुनिया में ,
एक छोटा-सा आशाओं का घरौंदा था
किसी आजाद पक्षी ने ,
उसे मेहनत के तिनके से जोड़ा था
उसमे खुशियों की सभी शुभकामनाएँ ,
प्रकृति के आशीर्वाद के साथ थी
वो घरौंदा तिनको की एकता से ही ,
मौसम की परिस्थिति का सामना करता था
उस पक्षी के कठिन प्रयासों से ही ,
वह तिनका अपना फर्ज निभाता था-
हो जायेंगी सभी परेशानीयाँ दूर,
खुद पर विश्वास कीजिये
धरा की निर्मल शक्ति का
सम्मान कीजिये
बुराइयों को त्यागकर,
सत्य के पथ पर चलिए
मंजिल अवश्य मिलेगी,
परिश्रम पर ध्यान दीजिए-
परिश्रम व्यर्थ हो सकता है पर उससे मिला हुआ सबक़
कभी व्यर्थ और अर्थहीन नहीं हो सकता-
बेहतर भविष्य के लिए परिश्रमी ओर सतत् प्रयास आवश्यक है अन्यथा पल भी नहीं लगता सौ को शून्य बनने मै.....
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Ruk mat.
Chalta ja.
Safar bohot dur ka hai..
Tu thak jaega vo galat to nahi..
Par tu jeetega ye baat hai sahi...
Parishram,kathor tap or nirantar prayas rakh...
Ruk mat suryodaya ya surayast tak...
Koi sathi nahi tera..
Tu hi naav or khiwaiya tera..
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Jinki mehnat jitni kathin hoti hh
unhe natiza bhi utna hi sukadh or sandar milta hh...-