परदेस में रहने वालों की मैं दीद करूं कैसे या रब
उन सब से अलग तन्हाई में मैं ईद करूं कैसे या रब-
जा रहे हो परदेश तुम अपना ख्याल रखना
केसे भुलु अपनो को हर वक्त ये सवाल रखना
भुल जाओ तो भुल जाना तुम बेसक हमे
बस छत कि अपनी वो यादे सम्भाल रखना
आयेगा परदेश मे तुम्हें तोडने तन्हाइयो का समंदर
तुम भी अन्दर अपने अपनो कि यादो का भुचाल रखना
दोलत ओर सोहरत सब खुब हाशिल करना तुम बस
दिल को अपने अमीर ओर गुरूर अपना कंगाल रखना-
बर्बाद कर दिया हमें परदेस ने मगर
माँ सब से कह रही है कि बेटा मज़े में है-
लोग चुप चाप चले जाते हैं परदेसों में
और दुख दर्द यहां फ्रेमों में पड़े रहते हैं-
बाप ने बेंच दी ज़मीन बच्चे की पढ़ाई की खातिर।
बेटे ने परदेश में जाके अपना नया घर बना लिया।-
Mayassar hota mujhe sukoon-e-qalb
Gar iss qadr gareebul watan na hota
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परदेस में आकर सामान जो खोला,
सब कुछ भीगा भीगा सा मिला
शहर छोड़ते वक़्त कई आँखें नम थी...-
तू सच्चा प्यार ना कर मुझसे, वर्ना छूट जायेगा यह दिल का शहर,
मेरी लक़ीरों में, मेरे साजन का हमेशा परदेस में रहना लिखा है!-