रूप अपना देख कर ये कैसे मुस्काई है याद कर उसकी झलक ये खुद से ही शरमाई है ये कैसी मूरत है ये जिसकी सारे जहां में परछाई है क्या ये वही सांझ है सूरज भी जिसको देखने तैयार है
Agar banna hi hai.. To meri parchaayi nahi, Dhadkan bano.. Kyuki parchaayi to andhere mein, Sath chod deti hai.. Par dhadkan aakhri saans tk, Sath nibhaati hai..
सब कहते हैं तु अपने पापा सी दिखती हैं सब कहते हैं तु अपने पापा सी दिखती हैं मेरी माँ मेरी मुस्कान देख खिलती हैं सिरत माँ सी और सूरत पापा सी कि सिरत माँ सी और सूरत पापा सी लेकर आज उन दोनो का ऐहसान लिऐ ऐ बेटी शब्दों में लिखती है ऐ बेटी शब्दों में लिखती है