क्या जरूरत है मुझे इत्र की, बदन पर लगाने के लिए,
तेरा ख्याल ही बहुत है, "पंडिताईन" मुझे महकाने के लिए.....
#पंडित-
ना हम भगवा रंग छोड़ सकते हैं,
ना जीने का ढंग छोड़ सकते हैं।
अरे फितरत से सिरफिरे है हम,
ना होसला- ये- दबंग छोड़ सकते हैं,
न ही हिंदु धर्म छोड़ सकते हैं।।।।-
बाहर से पंडित,
पर अंदर से पंडित के गुण ना होते इनमें..!!
पहनकर भगवा वस्त्र,
भगवा वस्त्र की समझ ना होती इनमें..!!
करते भगवान की सेवा,
पर समर्पण का भाव नहीं इनमें..!!
सबकी निगाहों में यह आदर्श होते,
पर एकमात्र शिष्टाचार नहीं इनमें..!!
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हम भी अपना दिल बहला लेते हैं
ग़ज़ल तरन्नुम में गा लेते हैं
वो जल्दी बातें भी ना करती थी
इक हम हैं सब को अपना लेते हैं
छोड़ गया है जब भी कोई हमको
तब हम खुद को समझा लेते हैं
कट्टा गोली तुम ही रक्खो बेटा
पंडित बुद्धी से बदला लेते हैं-
Ek baar puchh to liya hota ki tumhare jane ke baad ham kaise hai!
Sayad ap ne hamse kabhi pyar hi nai kiya ni to puchha to zarur hota! 😔-
सिनेमाघरों की भीड़ ही सही
आज़ हो रही मरहम में तब्दील!
कैसे कह दूँ समय नहीं,
हाय वहाँ धधक रही थी कश्मीर,
फूट पड़े गंगाजल आँखों से
देख, कैसे गूँज रही थी चीख
क्या बच्चे क्या बूढ़े जवां
फफक पड़े देख आपबीती पीर
हर बार बहाये आँसू
इश्क़ के ख़ातिर आँखों में लेकर नीर
सूख गई अश्कों की नदी
जब सुनी कथा तेरी ए कश्मीर
पला बड़ा बचपन जिन आँगन में
आज़ भी मन में गूंजे टीस
अपने माटी से दूर कैसे रह रहे
देखो रे हर मासूम हैं गमगीन
वर्षो बाद फफक पड़े,
दिलों में उठी पुराने जख्मो की पीर
स्वर्ग से सुन्दर कश्मीर क़ब्र निकला
जाकर देखे ज़ब नजदीक
ShilpA MishrA-
कोरोना काल में लोग 5 रुपए का सामान 25 रुपया में बेचने वाले,
और 21 जगह 21-21 रुपया मांगने बाले पंडित लोग
आज आरती गा रहे हैं...
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नहीं चाहिए धन और दौलत ना चांदी ना सोना मां🙏-
किसी भी हाल में मंजूर नहीं मै, आखिर मेरी क्या गलती है।
मेरा ग़म नहीं देखा जाता है, या मेरी ख़ुशी तुम्हे ख़लती है।-