तुमसे मेरा रिश्ता, बहुत ही पुराना था,
इस तरह छोड़कर तुम्हें, नहीं जाना थ।
आजकल अकेले ही सुनाते हैं वो कहानी
जिस कहानी में तुम्हें मेरा साथ निभाना था।
तुम्हारे ख़्वाबों के शहर ने तोड़ दिया भ्रम,
अपने गाँव की ओर लौट आये वापस हम,
चोट खाकर दूर हुए, तो ये पता चला हमें
कितना जरुरी तुमसे मेरा दूर जाना था।
हो सके, तुम अपने सपनों को वापस ले लो
सहमे हुए सूने, नयनों को अकेले रो लेने दो
अब तो बाजार में बिखरे पड़े हैं वो लाल रंग।
जिन्हें,तुम्हारी माँग में सिंदूर बनाकर सजाना था।
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