आज उन पहियों को देख के सीखा है,
के मिल कर साथ चलना किसे कहते है।
एक दुसरे से जुड के
मंजिल तक पहुचना किसे कहते है,
और अगर छुट जाए एक पहिये का साथ
तो गाड़ी की औकात क्या होती है।-
मोहब्बत जन्नत से रूबरू
होने का एक जरिया हैं
रुखसत ना हो जो कभी
ये वो छूटा हुआ पहिया हैं
कयामत क्या ये तो एक
बड़ा दिलो का दरिया हैं
शरारत से भरी ये रिश्तों
का मौसम ही बढ़िया हैं
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रुठने सी लगी है ज़िन्दगी,
अब मनाने का मन नहीं है।
हाथ से फिसल सी गयी है,
जीवन का पहिया।
अब चलाने का मन नहीं।
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जीवन सरि-सा बहता जाए,
रुकना ना तुम, कहता जाए।
पल - पल बदले, मौसम जैसे,
सुख दुःख छलते मन को वैसे।
विधि का लेखा, चलता जाए,
रुकना ना तुम, कहता जाए।।
चातक प्यासा तकता अंबर,
सूखी धरती, आँचल बंजर।
ऋतु का पहिया डगता जाए,
रुकना ना तुम, कहता जाए।।
परबत जल का, पथ हैं रोके,
बाधा कितनी उस को टोके।
धारा बन वो, बहता जाए,
रुकना ना तुम, कहता जाए।।
जीवन सरि-सा बहता जाए,
रुकना ना तुम, कहता जाए।।-
आप हमारी प्यारी सी गाड़ी को सहारा देने वाले पहिए हैं... इसीलिए, आप सदा युं ही मुस्कूराइए क्योंकी अगर आप रूठ गए तो कैसे चलेगी हमारी गाड़ी।
सब कहते हैं ‘गाड़ी अच्छी है’ पर बिना पहिए की गाड़ी कैसी?-
ज्यादा पुरानी नही है बस कल ही की बात हो जैसे
तुम मैं और ये वक्त का पहिया सब हमारे साथ थे जैसे-
सरकता है धीरे-धीरे, फिर झट से फिसलता है, यह वक़्त का पहिया, सँभाले न सँभलता है।
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Waqt jse thhr gya h khi galion me
jindgi ka pahiya ab chlta nhi h,
Rab se maangti hu dua takdir bdlne ki
Kuki Qismat kbhi bdlti nhi h...-
तुझे छोड़ा नहीं है मैंने
छोड़ना पड़ गया है
वक़्त की गाड़ी से ज़िन्दगी का
पहिया जो निकल गया है-