आज भी तेरे इंतज़ार में बैठा हूँ,
इश्क़ में दिल की ये कैसी लाचारी है?
इस दर्द का मर्ज ढूंढ लाये कोई,
हमें मालूम नही,ये कैसी बीमारी है।
नींद खुलने से पहले ख़्वाबों का टूटना,
रात अंधेरों में उस तन्हाई से मिलना।
उफ्फ,ये जिगर का निरंतर सुलगना,
और ख़ामोश पड़ी मेरी समझदारी है।
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