कमाल की बात हैं कि नग्न आँखे नग्नता देखने से परहेज करती हैं ।
धरती नग्न हैं फिर भी कितनी सुन्दर हैं ।
आसमान असीमित दूरी तक फैला हैं, देखो तो कितना विशाल और खूबसूरत हैं ।
आत्मा पर कोई आवरण नही होता पर इसे कितना सुन्दर बताया गया हैं ।
विचार जो किसी आदमी के चरित्र का निर्धारण करते हैं वो भी तो नग्न हैं विचारो से ही तो मनुष्य अच्छा या बुरा होता हैं ।
वो फूल जो जमाने को महका रहा हैं उससे सुन्दर तो कुछ भी नही ।
वो ख्वाब जो रातो की नींद गायब कर देता हैं जिससे भविष्य निर्मित होता हैं सुन्दर हैे कितना ।
उस नन्हे बच्चे को देखो वो जब अठखेलियाँ करता हैं ,बिना किसी परिधान के,कितना मनमोहक लगता हैं ।
जो स्पर्श हैं वो भी तो कितना खूबसूरत हैं ।
जो प्राप्त न हो और जो बिना किसी स्वरूप के हैं वो कितना खूबसूरत हैं ।
नग्नता तो बस नजर की होती हैं,नजरिये की नही ।
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