Mamtansh Ajit   (ममतांश अजीत)
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थोड़ा सा कुछ टूटा फूटा कच्चा पक्का सा लिख लेता हूँ ।
Insta- mamtansh_ajit
Fb-Mamtansh Ajit
Joined 22 October 2017


थोड़ा सा कुछ टूटा फूटा कच्चा पक्का सा लिख लेता हूँ ।
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Fb-Mamtansh Ajit
Joined 22 October 2017
29 APR AT 22:07

*श्रोता और वक्ता*

आवाज़ जब भारी तो रुककर,
सामनें वाले से भारीपन का कारण पूछना,
सुनना उसको तन्मयता के साथ,
देना हौंसला और कहना कि यें कठिनाई का दौर भी मिट जाएगा।

लोगों ने सुनना बंद कर दिया हैं,
और बोलना अधिक,
कही बार किसी को सुनने लेना,
उसकी वेदना को थोड़े समय के लिए कम कर देता है।

हमने प्रकृति का बनाया हुआ नियम ही बदल डाला,
एक जीभ मतलब कम बोलना,
दो कान मतलब अधिक सुनना।

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25 APR AT 13:39

इन हाथों के जोड़ से प्रीत बाँध लेंगे हम,
मुश्किलें चाहे कितनी भी हो एक दूजे का हाथ थाम लेंगे हम,
प्रेम से हाथ पकड़े रहना तुम हमेशा,
दुःख को भी साथ साथ बाँट लेंगे हम।

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23 APR AT 8:11

क्यों जाया करना किसी के लिए,
दुःख,दर्द,पीड़ा,प्रेम और प्रतीक्षा,
जब लोग जीवन में आते ही हैं,
किसी न किसी मतलब के लिए।

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18 APR AT 8:33

कल रात आईना तोड़ दिया मैंने,
कमबख़्त मुझें मुझसें ही पहचानने से इंकार कर रहा था।

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16 APR AT 10:43

*आरामगाह*

मैं उलझनों से थक गया हूँ,
तेरे काँधे पर सर रखकर सोना चाहता हूँ।
एक समन्दर इन आँखों में दफन कर रखा है कब से,
मैं तेरी बाँहो में रोना चाहता हूँ।।

तू लड़का है, लड़के भले कोई रोते हैं,
कई बातें दिल में छुपाए ये खुलीं आँखों से सोते हैं,
सजल नेत्र पुरुषार्थ की निशानी नहीं हैं,
ये समाज नियमों में बँधा हैं,
लेकिन इसे तुझसें कोई परेशानीं नहीं हैं,
मैं दुनिया के झूठें ढकोसलों के आग़े,
तेरी सच्चाई का बिछौना चाहता हूँ।
एक समन्दर इन आँखों में दफन कर रखा है कब सें,
मैं तेरी बाँहो में रोना चाहता हूँ।।

दिन में मुस्कुराहट के दीप जलाकर,
रात में उदासी का कम्बल ओढ़ता हूँ,
मैं औरों के सामने बन जाता हूँ मज़बूत,
मैं तेरे सामने हँसता,बोलता,मुस्कुराता हूँ,
क्यों किसी की परवाह करें हम,
जैसी मर्ज़ी वैसे जिए हम,
ताल्लुक़ लोगों से कम रखता हूँ,
बस तेरा ही,हाँ तेरा ही होना चाहता हूँ।
एक समन्दर इन आँखों में दफन कर रखा है कब,
मैं तेरी बाँहो में रोना चाहता हूँ।।

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10 APR AT 11:17

ग़ैरो के नज़दीक आनें लगा हूँ इन दिनों,
अपनों को आज़माने से।

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8 APR AT 14:09

पुरानी यादें,नयी यादें,
कभीं चेहरे पर मुस्कान,
कभीं आँखों में नमी लाने वाली बातें।

साथ गुज़ारे हुए लम्हे यादगार बन जाते हैं,
अलगाव के बाद वो ही लम्हे बेकार बन जाते हैं,
बेकार यादें,बेफ़िज़ूल यादें,
अफ़सोस करें ऐसी चाहते।
कभीं चेहरे पर मुस्कान,
कभी आँखों में नमी लाने वाली बातें।

यादें अच्छी हो तो जीवन भर याद रहती है,
जाने के बाद भी उस शख़्स की महक हमेशा साथ रहती हैं,
कड़वी यादें सीख दे जाती हैं,
मीठी यादें प्रीत दे जाती हैं,
आओ! प्यारी यादों को गले लगा ले।
कभीं चेहरे पर मुस्कान,
कभीं आँखों में नमी लाने वाली बातें।

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2 APR AT 10:52

*सुंदरता के मायने*

हाथों में किताब,आँखों में ख़्वाब रखते हों,
चेहरे पर सादग़ी का रूमाल रखते हो।
तुम चाहें कुछ भी पहनों,
पर सूट सलवार में लाजवाब लगते हों।।

चलों जब,क्या कमाल लगतें हो,
बैठों जब,बेमिसाल लगते हों,
सारे फूल तुम्हारे सामने हैं फीकें,
तुम ख़ूबसूरती का गुलाब लगते हो।
तुम चाहें कुछ भी पहनों,
पर सूट सलवार में लाजवाब लगते हों।।

बोलों जब मिठास झड़े जैसे,
तुम शहद का मिज़ाज रखते हों,
तुम व्याकरण हो मेरे शब्दों की,
तुम मेरे सभी प्रश्नों के जवाब लगते हो,
पायी हैं सूरत के साथ सीरत की भी सुंदरता,
ज़्यादा न कहकर बस इतना कहूँगा,
तुम मुझे कमाल लगते हो।
तुम चाहें कुछ भी पहनों,
पर सूट सलवार में लाजवाब लगते हों।

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30 MAR AT 10:51

*दो बाँहों का संसार*

जब दो कँधो से जुड़ी बाँहे किसी का आलिंगन पाती है तो संसार के सारे दु:ख बौनें लगने लग जाते हैं।
संसार बस इतना ही हैं कि वो किसी की बाँहो में सिमट जाएं,
संसार के दो सिरों के मध्य अंतराल दो बाँहो के मध्य अंतराल के बराबर ही है।
हमे बस दो बाँहे बननी है,
एक गले लगने वाली और एक गले लगाने वाली।
दुःख और निराशा गले लगने से ठीक हो जाते हैं,
लगने लग जाता है कि कोई है जो आपकों अपनी बाँहो की गिरफ़्त से कभी आज़ाद नहीं करेगा।

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27 MAR AT 8:16

लक्ष्य पर अडिग रहों,
हमेशा मेहनत के नज़दीक रहों,
नही हैं कोई भी मंज़िल मुश्क़िल,
हमेशा हौंसलों के पथिक रहों।

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