हालात कुछ ऐसे थे कि मिन्नतें दिल की अपने ही दिल से कर बैठे,
और वक़्त कुछ ऐसे थे कि दिल ने अपने ही एहसासों से मुँह मोड़ रखा था
अजीब फ़लसफ़ा बन बैठे हैं उनके और मेरे दरमियाँ कि...
जो इश्क़ जिंदगी से था हमारा अब बेमानी सा हो बैठा है,
और जो इश्क़ है हमारा... हमारी ज़िन्दगी की डोर थामे बैठा है
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