इंतजार.. शब्द से नाता है मेरा बचपन से
अफसोस.. हर शख्स मुझे बखूबी समझा-
दिन तो अब भी हाल-ए-मस्ती में गुज़र जाता है।
दरख़ास्त इतनी है
कोई हुस्न, इस कमबख्त रात को अपनी ओर से खुशनुमा करदे
तलाश खुद की नहीं, खुद - जैसो की है
मोहब्बत खुद से नहीं,खुद - जैसो से है
अब
शिकवा तुझसे नहीं,तुम जैसो से है
माफी नम निगाहों की नहीं,खामोश ज़हन की है-
हां, मैं सोया था उसकी गोद में
जिसे में बेहद परेशान किया करता था
लेकिन बदले में सिर्फ प्यार का सागर ही उमड़ता था।
शायद मैने बताया नहीं
वो वक्त बचपन का था
जब में अक्सर ही अपनी "मां" की गोद में सोया करता था।-
मजहब-ए-तर्क सियासतदानों की बोई अफीम है,
किसी अहमक से पूछ सकते हैं।
मुफलिसी मैं मगर रखना याद ,जात,अपनी भी
तुमसे खानदानी पूछ सकते हैं।-
इश्क़ के दौर से गुजरने के लिए काफी हूं,
हां में टूटा हूं, मगर खुद से संभलने को काफ़ी हूं,
न चाहत है तेरी और न ही शिकायत है कोई
हां में अकेला हूं, मगर संग तेरे रहने को काफ़ी हूं।-
मैं अल्फाज़ हूँ तेरी हर बात समझता हूँ,
मैं एहसास हूँ तेरे जज़्बात समझता हूँ,
कब पूछा मैंने कि क्यूँ दूर हो मुझसे,
मैं दिल रखता हूँ तेरे हालात समझता हूँ।-
देकर सफ़ाइयां अपने किरदार की थक चुकी हूं मैं,
लो अब सुनो,
तुम्हारी सोच से कहीं ज्यादा बुरी हूं मैं।-
I die every night when I think of you, when I miss our late night conversations, when you compare me to someone else , When you abuse me
Yes, I don't understanding your changing and I remain silent cause
YOU ARE THE REASON-