इस रात में क्या अच्छा होता है , काली होती है , सन्नाटा होता है ,कुछ सितारे होते है और होता है चांद अकेला, यही होता है रात में !!
नहीं वो चांद अकेला नहीं होता है उसके साथ मै भी होता हूं अकेला अपने कमरे की खिड़की में या अपनी बालकनी में और रात के सन्नाटे में गुंजती एक आवाज़ जो मेरे कानो से होते हुए दिल तक जाती है उसे सुनते हुए, वो आवाज़ जो दिमाग को सुन्न कर देती है , वो आवाज़ जो सीने को चीरती है , वो आवाज़ जो दिल को भेदती है , वो आवाज़ जो धड़कनों को रोक देने को आमादा है, वो आवाज़ जो आंसुओ से कहती कि तुझे बहना नहीं है पत्थर के टुकड़े बनने है , वो आवाज़ मेरे अकेलेपन मे मेरे अतीत को कुरेदते है , वो आवाज़ जो आगे मुझे हर बार प्रेम से डर और दूरी का एहसास दिलाते है .....
वो एक आवाज़ की तुम असफल हो प्रेम में तुम असफल रहे हो अपना सब कुछ दे कर भी तुम असफल हों असफल !!
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