पता नहीं क्यों लोग प्यार का नाटक
करके जिस्मो का इस्तेमाल क्यों करते हैं ....-
फिर भी...
उलझा दे ये उलझने मुझे ख़ुद में,
ये बात तो मुनासिब नहीं।-
थक गये हैं किरदार निभाते -निभाते ,तेरे रंगमंच पर ज़िन्दगी ..
नाटक ये मुसीबतों वाला काश अंतिम पड़ाव पर हो ..-
ज़िन्दगी के रंगमंच से बहुत हुआ जीने का नाटक
ऊब गया हूँ मुझे अपने किरदार से बाहर निकलना है
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अंदर से बहुत दुखी हूं मैं
बाहर से अच्छा हंस लेता हूं,
शुरू से ऐसा नहीं था मैं
अब खुश होने का...
अच्छा नाटक कर लेता हूं..!!-
अगर तेरे सुख के लिए मुझे तुझे भुलाना पड़े
तो में राज़ी हु, बार बार तुझे भुलाने के लिए...
अगर फिर भी भुला ना पाई
कम से कम भूलने का नाटक ज़रूर कर सकती हूं...
लेकिन जो भी करूँ सिर्फ तेरे सुख के लिए।।-
Mera jab dimag kharab hota hai m khud ni jhel pati hu khud ko tum kya khak jheloge!!
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Badi Uljan Hai
Zindagi Ke NATAK Me
Mera Kirdaar Kya Hai
Mujhe Maloom Nahi-
अब अफ़सोस करने से फ़ायदा क्या,
इश्क़ महज़ छलावा था,
चलो तमाशा ख़त्म हुआ,
पर्दा गिरने दो ।।-
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जीवन के रंगमंच पर,
नाटक जारी हैं,
सवाल उठने लगे हैं,
किरदार के बदलाव पर ।-