SAMNE
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2: For over a century, I have lived in secret,hiding in ... read more
कौन हैं ये लोग जो ख़ुश हैं और इतने हैं
अपना तो कोई है नहीं पराए ना जाने कितने हैं
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रात को सूरज की तलाश दिन को बस एक तारे की
बेहद अज़ीज़ एक शख़्स की बेहद किसी प्यारे की
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चेहरे पे शिकन .दर्द आँखों में
कोई बैठा है वहाँ परेशान हो के !
इल्तिजा की मिन्नते की मगर
ज़िन्दगी ने दिया ना आसान हो के !!
अपनो ने बाँट ली ज़मीन पुरखों की
मुशलशल अपनी कह के !!
वाह रे अमीरों क्या हुआ तुम्हारा
इतना बड़ा ख़ानदान हो के !!-
जितना ग़ुरूर है उन्हें ख़ुद पर
हमें हम पर इतना तो नहीं !
अभी कल ही बात लीजिये
हम थे , दिल था वो नहीं !!
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ज़िन्दगी के रंगमंच से बहुत हुआ जीने का नाटक
ऊब गया हूँ मुझे अपने किरदार से बाहर निकलना है
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ख़्वाब में जो देखा था रात सुबह को ख़्याल बन के उतरता है !
ये कौन सा शख़्स है मुझमें जो ना तो जीता है ना कि मरता है !!
ना पता दवा में ज़हर था या कि ज़ख़्म गहरा था काफ़ी हद तक
हवा चलती है हौले से और खामखां दर्द रह - रह के उभरता है !!-
इतना भी ना तलाश मुझे तू
मैं तेरे ख़्वाबों में मिलूँगा कहीं
डाली से टूटा हुआ फूल हूँ मैं
तेरी किताबों में ही मिलूँगा कहीं-
इतना भी क़ीमती नहीं हूँ कि संभाल के रखा जाए मुझे
डरावना ख़्वाब ही तो हूँ आँखों में ना पाल के रखा जाए मुझे
मैं कौन हूँ किसका हूँ जानना मुझे भी है आख़िर
मैं चाहता हूँ एक तरफ़ से खँगाल के रखा जाए मुझे
मेरी आख़िरी ख़्वाहिश पूछते हो अच्छा ठीक है फिर
थोड़ा ज़हर शराब में डाल के रखा जाए मुझे
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अरे अरे इधर नहीं मैं उधर जाना चाहता हूँ !
तुम जियो बेशक मैं तो मर जाना चाहता हूँ !!
नशा साँस का महज़ जीने के लिए उफ़्फ़ !
बहुत हुआ कि मैं अब सुधर जाना चाहता हूँ !!
ना दवा अपने ज़ख़्म पर लगाई ना लगाने दी
हार का उसका कहना मैं भर जाना चाहता हूँ।-