Aparajita Vatsa Kj   (Aparajita vatsa kj)
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Joined 12 June 2017


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Joined 12 June 2017
19 SEP 2024 AT 10:12

मछली पानी में और पंछी आसमान में ही शोभा देते है,
दोनों ने अगर किसी के नकल से जगह बदली तो तड़पना निश्चित है।

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13 NOV 2023 AT 12:46

बीमारी से मुरझाया माँ का चेहरा,
बच्चों की खुशी देख खिल उठता हैl

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28 JUN 2021 AT 23:18

तुम कहते रहे और मैं सुनती गयी,
तुम्हारे मन को एक बेदाग़ आईने सा पाया था...

क्या पाया और क्या सोचा था ,
तुम कोई और हो शायद।
तुम बेशक़ वो तो नहीं ,
जो मेरे मन को भाया था।

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19 JUN 2021 AT 23:44

ज़िंदगी का सबसे बड़ी मुश्किल ,
ख़ुद को हार जाना...

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19 JUN 2021 AT 23:32

बुलबुला पानी का बन ख़ुद फुल तो ख़ुद हीं फुट जाना तुम,
लड़की ज़ात हो ख़ुद को हीं मनाना तो ख़ुद से हीं रूठ जाना तुम।
सच की लडाई में कुछ इस कदर ना कूद जाना तुम,
बिना बात बूढ़े माँ बाप को गाली न सुनवाना तुम।
चुप रह अंदर हीं अंदर गुड़िया मेरी घूट जाना तुम,
किसी रोज़ यूँही सपनों की नींद में सो जाना तुम।
लेकिन...
अगले janam फ़िर बेटी बनकर आना तुम,
आंगन बाबुल का फ़िर से लाडो मेरी सजाना तुम।
क्या होती हैं बेटियां ये दुनिया को बताना तुम,
बहु या बीवी नहीं सिर्फ़ बेटी बन पास मेरे रह जाना तुम।

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30 JAN 2021 AT 0:49

खेल है ये और इस खेल का दौर भी बीत जायेगा,
सच फिर ख़ामोश है, और झूठ चीख़ कर जीत जायेगा!!

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6 AUG 2020 AT 18:08

मुझमें कुछ तो पहले सा बाक़ी है,
जीने के लिए क्या ये काफ़ी है??

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6 AUG 2020 AT 18:02

मेरे घर में लगे आग के लपटों से,
यहाँ रोटियां सेकी जाती है l
मैं बहुत बुरी ही रह गयी जमाने में
क्योंकि मुझे चलाकियाँ नहीं आती हैं..

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6 AUG 2020 AT 18:00

मेरे घर में लगे आग के लपटों से,
यहाँ रोटियां सेकी जाती है l
मैं बहुत बुरी ही रह गयी जमाने में
क्योंकि मुझे चलाकियाँ नहीं आती हैं..

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30 JUL 2020 AT 18:59

ज़िंदगी यूँ भी नाराज़ थी मुझसे, तुमने आकर ज़ुल्म दुगुना का दिया l
सावन में ख़्वाब जलेंगे ऐसे , तुमने ये साल ही मई- जून का महीना कर दिया l

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