QUOTES ON #NAI

#nai quotes

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12 MAR 2020 AT 12:30

हुई क्यों खता हमसे है
चलो वजह ढूंढ़ते है,
उदासी इन चेहरों पे जो है छाई,
चलो उन्हें मुस्कुराहट में बदलते है,
गलती हुई हमसे भी है,
चलो एक दूसरे को माफ करते है,
एक नई शुरुआत करते है।

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20 DEC 2020 AT 10:56

->HERGIZ NAI - 2<-

Hergiz nai bhula mai TUMKO
Jee raha hun mai jaise jeeti TUMHO Hergiz nai parwaah meri TUMKO Rutha nai karta mai jaise ruthi TUMHO

Wo har jagah aaye yaad Teri
Jaha bhi tum mere sath Rahi
Jana chodd diya maine us Raste
Jaha pyaari baat kari Haste Haste

Tere Ishq me hoke gumo ki kadwi Dawa Pili hai
Mere rub ko bhi malum Na muje sacchi Wafa Mili hai

Milkar bhi na Mile khushiyan JINKO
Rote wo akele mai, Na aise kisike DIN HO
Ruskar bhi na koi gile is DILKO
Hote tanha raton mai, Na koi kisike BIN HO
Hergiz nai parwaah meri TUMKO Rutha nai karta mai jaise ruthi TUMHO

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15 AUG 2020 AT 14:42

Har nai chij aachi lagti hain..
Per dost purane aache lagte hain..

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10 SEP 2020 AT 20:19

Phir Na Karo ummidein Wabasta Is Jahan_e_Fani Se...!!!

Dil Toot'ta Hain Har Qadam Ik Nai Kahani Hai...!!!



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19 FEB 2021 AT 23:56

Mai mar jooaonga ta sayad qadr kroge kya ....
Zinda huu to baat se aitraaz krtii ho

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25 MAR 2020 AT 15:35

पता नहीं किस college से ली
मोहब्बत की डिग्री उसने जितने भी
वादे किए थे फर्जी निकले

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3 APR 2022 AT 7:05

Laukesh thakur

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17 JUN 2021 AT 23:40

आज कई रोज बाद घर आना हुआ....
की तेज बारिश मे कमरे के झरोखे से उस आंगन के पौधे को देखती हूँ जिसकी पत्तिया सूख चुकी है,और सोचती हूँ की वह आज भी कितनी मजबूती से अपनी जड़ों से उस आंगन की माटी को थाम रक्खा है की तेज बारिश भी उस पौधे को उसके आंगन से अलग ना कर सकी जिसको एक माॅ ने ता उम्र सजोया, एक बचपन उसके इर्द-गिर्द गुजरा, एक बिटिया विदा हुई फिर कैसे उसी आंगन से एक माॅ को वृद्धआश्रम के लिये खीचा जाता है......................
लिहाज़ा बारिश थमती है और एक सन्नाटे की गूंज कानो मे गुजरती है और अब ना वो माॅ है और ना ही वो हरा भरा पौधा जिसे तुलसी कहते थे............



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5 AUG 2020 AT 10:15

Jab je chahe nai duniya bana lete hain log..
Ek chehre pe kai chehre laga lete hain log..

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27 FEB 2017 AT 19:55


रिश्तों को संजोता हुँ किसी से तोड़ता नही,
दुश्मनों का दुश्मन हुँ किसी को छोड़ता नही,

हैं वहीं इंसान बुरे वक्त पर काम आए,
ज़रूरत पर किसी से जो मुँह मोड़ता नही,

सर्द रातों को गुज़ार लेता हुँ सुकून से,
कम्बल हराम के में कभी ओड़ता नही,

ज़िन्दगी खुद्दारी में रहकर बिताता हुँ में,
दौलतमंद के पीछे ये ज़मीर दौड़ता नहीं,

अपनों के नही तो मेरे क्या होंगे #रज़ा,
ऐसो की जी हुज़ूरी में हाथ जोड़ता नही।
 
●रज़ा ख़ान रज़ा

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