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"मेरे मरने के बाद वो मकबरे तक मेरे साथ चला ,
लौटा जब मुझे अकेला छोड वहाँ,मुझे लगा मेरी मौत पर तब अन्धेरा हुआ।
मुझे मसखरी की आदत थी,वो मसखरे मे पला हुआ,
मसखरी तले जिहाद से जब पर्दा उठा,गम्भीर तब मुआ'मला हुआ।
ना जाने कौन सा रिश्ता ओढ़ कर अभी तक,वो चल रहा था साथ मेरे,
जब उसने थामा किसी और का हाथ तब मेरे रिश्ते का जनाजा निकला।
मेरे जनाजे मे,लोग चवन्नी उछाल रहे थे दर्द से भीगी हुई,
मैने कफन की दराज से ताका महज उन्ही के हाथ मे नोट सूखा मिला।
मेरी कब्र पर लोगो को इक दिया दो चमेली का फूल मिला,
जब मै कब्र के बाहर निकला,उसका हुस्न बेवफाई की महक मे लिपटा मिला।
वो आया था कब्र पर मेरी,मुझे झूठी सिसकियाँ सुनाने ,
मुझे उसकी शर्ट के बटन संग एक पायल का घुंघरु भी मिला।
ना जाने कौन से रास्ते पर चल रहा है वो आजकल,
कई कब्रों पर उसके पैरों का निशां,दीया और चमेली का फूल मिला।
मुझे लगा वो दिया और फूलों का करोबार कर रहा है,
मै शमशान से बाहर निकली तो मुझे उसकी मोहब्बत मे एक और इंसाँ मरा मिला।"
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