रक्तिम स्वर्ण सा युक्त आसमां गर्व भरा हर्षाता है🤗 ***************** हर मन को यह सुकून दे बरबस मन बस इसे निहारे ************************ सुबह की रोशनी से खिलखिलाता यह जग सारा सबके जीवन को महकाये यह सुबह का नजारा
बस ऐसे ही पंक में पंकज खिलते हैं प्रकृति नियामक तुम भी विमल बनो निर्मल बनो मलमल बनो आलम-ए-दलदल में कमल सा खिलो खियाबां-ए-गुल की महत्ता यही है गर पाना तुम्हें शाश्वत सत्ता है सुनो!! यही कर्मों का वेतन-भत्ता है प्रकृति कहती सत्य की स्वीकृति!!