आँखों में पानी भरता चल,
और प्यार सभी से करता चल।
ग़र तुझे ज़िंदगी जीनी है,
हर दिन हर पल बस मरता चल।
किरदार तेरा मानिंद-ए-शहर,
हो दिन या रात पसरता चल।
जो बीत गया, ना लौटेगा,
माज़ी को यार बिसरता चल।
वो ख़ुदा मुसव्विर है तेरा,
रंगों की तरह बिखरता चल।
ग़ैरों को मुतासिर क्या करना,
तू ख़ुद के लिए निखरता चल।
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