हमेशा देर कर देता हूं मैं, बदलते मौसमों की सैर में
ज़रूरी बात कहनी हो दिल को लगाना हो
कोई वादा निभाना हो किसी को याद रखना हो
उसे आवाज़ देनी हो किसी को भूल जाना हो
उसे वापस बुलाना हो हमेशा देर कर देता हूं मैं
हमेशा देर कर देता हूं मैं।
मदद करनी हो उसकी किसी को मौत से पहले
यार का ढांढस बंधाना हो किसी ग़म से बचाना हो
बहुत देरीना रास्तों पर हक़ीक़त और थी कुछ
किसी से मिलने जाना हो उस को जा के ये बताना
हमेशा देर कर देता हूं मैं। हो,
हमेशा देर कर देता हूं मैं
~मुनीर नियाज़ी-
जरूरी बात करनी हो
कोई वादा निभाना हो
उसे आवाज़ देनी हो
उसे वापस बुलाना हो
हमेशा देर कर देता हूं मैं....
बदलते मौसमों के शहर में
दिल को लगाना हो
किसी को याद रखना हो
किसी को भूल जाना हो
हमेशा देर कर देता हूं मैं....
किसी को मौत से पहले
किसी गम से बचाना हो
हकीकत और थी कुछ
उसको जाकर बताना हो
हमेशा देर कर देता हूं मैं...!!
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Khayal jiska tha ,
Khayal mei mila mujhe
Sawaalon ka jawaab bhi ,
Sawaalon mei mila mujhe
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हमेशा देर कर देता हूँ मैं हर काम करने में
ज़रूरी बात कहनी हो कोई वा'दा निभाना हो
उसे आवाज़ देनी हो उसे वापस बुलाना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं.-
एहसास बताना है न,तो बोल मुझसे रूबरू हो कर,
उर्दू में शेर लिख कर हालात बताने वाला
ग़ालिब में भी नही और तुम भी नही
#iwrite-
ग़म-ओ-सितम की बारिश ने भी तेरे नक़्श को धोया नहीं,,
तू ने मुझ को खो दिया, मैं ने तुझे खोया नहीं..!!!
-Muneer Niyazi
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हमेशा देर कर देता हूं मैं
अपनी इस देर करने की सजा भुगत रहा हूं मैं
अनिश्चिताओं की परिस्थितियों में झूल रहा हूं मैं-
Khayal jiska tha mujhe
Khayal mai mila mujhe...
Sawal ka jawab bhi
Sawal mai mila mujhe....
Credit- sir munir niazi-
हमेशा देर कर देता हूँ मैं
हमेशा देर कर देता हूँ मैं
ज़रूरी बात कहनी हो
कोई वादा निभाना हो
उसे आवाज़ देनी हो
उसे वापस बुलाना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं
मुनीर नियाज़ी
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पढ़ो "गालिब को,,
पढ़ो" मीर को,,
सुनो "eliya को,,
लिखो" कबीर को,,
हो जाओगे""काबिल,,
समझो "" मुनीर को..
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