आज कल कोई जज्बात नही लिखते हैं,
उठा कर कलम बस अल्फाज लिखते हैं,
नकल की दौड़ में अकल मारी गयी है, यहाँ लोग तो
अपनी वाली को शाहजहाँ की मुमताज़ लिखते हैं।-
हर पुरुष एक ताजमहल है,
पता नहीं कितनी मुमताजें दफ्न हैं सीने में🥺..!-
मेरे अपनो की महफ़िल सजी है...
मेरे कत्ल की साजिश रची है...
कोई समझाए इन्हें जरा!!
यह तो शरीर है, जान तो उसमें बसी है.....-
शांति में बैठ कर ... मैं अक्सर ,,,
जेहन में ख्यालों की वहशत मनाता हूँ..
भाती नहीं खामोशी,, हलचल हो जवानी में,,
के हर दिल में ऐसी दहशत फैलाता हूँ..
मुमताज़ ✍
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Dekho.
Suno.
Baat ye hai,
K shabd mere ishq se bhare hai,
Par abhi unme bareeki nahi hai
kyuki abhi dil pr kisi ka raaj nahi hai.
Likhne pr aa gya
toh
shabdo k Taj bana dunga,
Baat itni hai k
abhi meri mumtaj nahi hai.-
रिश्तों को वक़्त दिजिये..
ना कि बड़े-बड़े तोहफ़े
ताजमहल दुनिया देखती है
मुमताज नही !!🖤🖤-
ज़िंदा है शाहजहाँ की चाहत अब तक,गवाह है मुमताज़ की उल्फत अब तक,जाके देखो ताज महल को ए दोस्तों,पत्थर से टपकती है मोहब्बत अब तक..
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जरुरी नहीं की प्यार में ताजमहल ही बनाया जाए,
आप बर्तन धो कर भी अपनी मुमताज को खुश कर सकते हो...!😍🤞-
Rishton ko waqt do,
Tajmahal logon ne dekha he
Mumtaj ne nhi.!!!-
When he said Mumtaj is no more , people turned their face to Aagra , May be in want of Tajmahal
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