एक बार दिखना है तुझको
चाहे दूर से हो
एक बार तेरे आंखों से
खुद को ढूंढनि है
चाहे मालूम हो आंखों की बात तो छोड़ो
जिस्म में भी कहीं पर नहीं हूं
एक बार गले लगाना है तुझको
चाहे तू इसके बाद मार दे मुझे
एक बार तेरे इश्क में जलना है मुझको
चाहे तू झूठा ही सही एक बार देख ले
एक बार मरना है मुझे
चाहे तू जिंदा हूं या मर गई
देखने आ जाए....-
Likhun toh kya likhun
Tera naam likhun ya
tera hone ka ehesaas
Gujrate hue lamha likhun ya
khone ka dar
Peheli mulaqaat likhun ya
akhir albidaa
Dil ki pyar likhun ya
dil ki dard
Chahat likhun ya
zakhm ki adat
Khwab likhun ya
tutti hui kaach
Samandar gehrai likhun ya
Zamin ki dhul
Ishq likhun ya
Zindagi ki akhiri khat.....-
ହାତ ରେଖା ରେ ନଥାଇ ବି
ତୁମ ହାତରେ ମୋ ହାତ ଛନ୍ଦି ଦେଲି
ବିନା ଆଶାରେ ଏତେ ପାଖକୁ ହେଇଗଲି
ପଛ କୁ ଫେରିବା ବାଟ ଭୁଲିଗଲି
ଏମିତି ଏକ ଦୁନିଆ ଗଢ଼ିଦେଲି
ପୂର୍ଣ୍ଣିମା ର ଚାନ୍ଦ ଥାଇକି ବି ଅନ୍ଧାର ରେ ରହିଗଲି
ସବୁ ଜାଣି କି ବି ପୁଣି ପ୍ରେମ ରେ ପଡ଼ିଗଲି
ନା ତା ଭବିଷ୍ୟତ ଅଛି
ନା ଏ ସମ୍ପର୍କ ର ଶେଷ ଅଛି
ତଥାପି ହାତ ରେଖା ରେ ନ ଥାଇ ବି
ତୁମ ହାତ ରେ ମୋ ହାତ ଛନ୍ଦି ଦେଲି...-
ପ୍ରେମ ର ଫାସ ରେ ବାନ୍ଧି ରଖି ଅଛୁ
ସେ ପ୍ରେମ ମୋ ପାଖେ ରହୁ
ଏଇ ଯୋଉ ପ୍ରେମ ବନ୍ଧନ ରେ ଅଛି
ମୋ ପାଖରେ ତୁ ହି ରହୁ....❤️-
तु मत कर इश्क़
मुझे तुझसे इश्क़ करने दे
अपने आंखों में
मुझे डूबने दे
होठों से मिठी रस
मुझे पीने दे
अपने बाहों में खुदको
लिपटने दे
मुझको तेरे पास
क़रीब रहने दे
यूं तो भीगी हुई हूं तेरे प्यार में
फिर भी तुझे चूम के प्यास बुझने दे
अपने कमर पे
तेरा हाथ को खेलने दे
जुल्फों की खुशबू को
तेरे सांसों में घुलने दे
ये इश्क़ की नशे को
मुझे तुझ पर उतरने दे
हां मानती हूं तू लड़का है
फिर भी मुझे तेरे बदन को छूने दे
आज की रात में
चांद को ढलने दे
हमारी इश्क़ को
तेरे नाम से जुड़ने दे
तू मत कर इश्क़
मुझे तुझसे इश्क़ करने दे .......
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अर्ज़ किया है जनाब आपके खातिर:–
ये दिल टूटते क्यूं हैं
टूट कर बिखरते क्यूं है
हम उनके इक झलक के लिए
पागल होते क्यूं है
क्या है उनमें जिसके लिए
ये दिल मरते क्यूं है
बातें करने के लिए
ये दिल को तड़पना पड़ते क्यूं हैं
उनके इक मुस्कान के लिए
चांद तोड़ने की वादे करते क्यूं है
उनको पाने की कोशिश में
उलझन में खुद पड़ते क्यूं है
इश्क़ में ये दिल को
दर्द मिलते क्यूं है
ये दिल टूटते क्यूं हैं
टूट कर बिखरते क्यूं है ...
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अर्ज़ किया है ....
अपनी इश्क़ को मिटा कर
उसको अपनी जिस्म दे दिया
फूलों से बिछाई हुई रास्ते
उसके खातिर छोड़ दिया
कांच की तरह अपनी दिल को
टुकड़े टुकड़े करने को दे दिया
मांगी थी थोड़ी सी इज्ज़त
उसको सरे आम
नीलाम होने दे दिया...-
Mousam badalte hai
Waqt badalte hai
Par kabhi tum sab mat badlna
Umr badh jaye
Par apni nadan si dil ko kabhi mt bikharna
Tuttenge dil judenge dil
Kabhi agar pair dagmagaya
Kabhi mat Darna
Jabhi jarurat pade
Mujhe yaad karna ......
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तेरे जिंदगी संभलते संभलते
मैं खुद बिखर गई...
तुझे तेरे इश्क़ से मिलाते मिलाते हैं
मैं तबा हो गई...
तेरे दिल को टुकड़ों को जुड़ते जुड़ते
मेरे खुद की दिल टूट गई...
तेरे जिंदगी सजते सजते
मैं खुद जिंदा लाश बन गई...
कहानी तो शुरू चाँद के रात में हुई थी
पर ख़तम अमावस्या की रात में हो गई...
तू फिर वी आज कहता है की
मैने किया क्या है तेरे खातिर
तुझे क्या ही बताऊं अब
तुझे चाहने की जुर्म में
खुद ही अपने दिल में कैद हो गई...
तेरे झूठे इश्क में
खुद बरबाद हो गई...
बरबाद की शुरुआत तो तूने की थी
पर अंत की नाम निशान मिट गई...-
मैं रोज़ कुछ पाने की चाहत में
खुद को तबाह कर दिया
जो था शोना मेरे पास
उसको पीतल समझ कर खो दिया
समंदर के किनारे बैठ कर भी
प्यास बुझी नहीं
मोहब्बत होने के बाद भी
इश्क़ की गलियों में
बंजारन बन गया...-